Friday 22 January 2016

.....JUST INTERNATIONAL.... JUST FROM INDIA....BY A FRIEND.....JUST FOR YOU #OR#.....JUST BECAUSE OF YOU.....REGARDS....राजा की कहानी....प्रत्येक अन्तराष्ट्रीय परम-मित्र के लिए...हर चित्र का हर चित्र से....प्रत्येक शब्द से....जड़त्व की मित्रता....गौर कर सकते है.....‪#‎FOREVER‬#.....मालवा की माटी से....मालवा के मोती.....चन्द-शब्द.....सक्रीन या शकर की जगह गन्ने की मिठास....बस चुसना भर है...यह परिश्रम सिखने से आता है....स्वयं का अनुभव.....हम अपने परिवार के सदस्यों को नुक्सान सह कर भी......फायदा देना चाहते है....जिनके अपने सपने पुरे नहीं होते है......वे दूसरों के सपने पुरे करते है.....और यही एक मात्र पुण्य का मार्ग है....बाकि तो सब मन को समझाने वाली बाते हो सकती है.....हम जो चाहते है...उसे अपने लोगो को करना सिखाये....सवांद, संपर्क और पारदर्शिता.....अन्त तक आनन्द.....और अन्त कभी आता नहीं....‪#‎राम‬-राम# सा....प्रत्येक उस मित्र के लिए.....जो राम के बारे में जानना चाहे....शत-प्रतिशत सहिष्णु......आनन्द में खलल हो तो परम-आनन्द सम्भव नही....ऋग्वेद के अनुसार.....”उपक्षेति हितमित्रो न राजा”....अर्थात अनुकूल मित्रों से युक्त व्यक्ति.....सदैव रहे धरा पर.....मात्र धुरी का ध्रुवीय-करण करने के लिए.....सहज धारा-प्रवाहित...चाहे दरबार हो या युद्ध का मैदान.....विशेषता राजा की....जो कहे....वन्दे मातरम् .....सहज संबोधन....मेरे प्यारे देश वासियों .....जय हो...आराम से.....आखिर आराम शब्द में #राम# है....राजा #राम# का नाम.....‪#‎राजाराम‬#....और मान-सम्मान की भाषा में....राजारामजी....और मान-सम्मान की धारा बहती है जब मालवा में एक लोकगीत है...जो सिर्फ स्त्रियाँ गाती है.....‪#‎सीताराम‬# जी ने लाड़ करावा जी...ने #राजाराम# जी ने गारां बक्का जी....सीताराम का युग्म इतना प्रिय कि अकेले राम को राजा के रूप में देखना मंजूर नहीं...राम अकेले है तो गाली सुनने का डर और माता सीता के साथ है तो प्यार...प्रेम....LOVE....स्नेह....यही तो युग्म का कर्तव्य....राजा का कर्तव्य....क्षमा, रक्षा, न्याय, व्यवस्था.....अर्थात सिर्फ और सिर्फ कर्तव्य निर्वाह के कारण....मात्र मर्यादा-पुरुषोत्तम....नन्ही सी गागर में सम्पूर्ण सागर.....और महादेव...देवो के देव के एक आदेश पर मन्थन से मात्र अमृत छलके....तब सम्पूर्ण ब्रहमांड ही सम्पूर्ण राज्य-समान....#राम-राज्य#....और यह शाश्वत सत्य.....राम शब्द ‪#‎आनन्द‬# को आमंत्रित करता है....काम की बात करने की कोशिश न हो तो फालतू बात होने का डर....और काम की चीज न खरीदो तो फालतू चीज खरीदने की आदत या लत....और काम की जगह नहीं जाते है तो इधर-उधर भटकने का डर....भीड़ में गुम हो गए तो गुमनाम....जब तक सूरज-चाँद रहेगा तब तक किसका नाम रहेगा ?......नहीं मालुम......सूरज-चंद्रमा कब तक ?.....मात्र बारह घंटे....बारी-बारी.....तो भी बादलों का डर....मगर राम से बड़ा राम का नाम....स्वयं सिद्ध....स्वयंभू....खुदी को कर बुलंद इतना कि खुद ‪#‎खुदा‬# पूछे.....बता तेरी रज़ा.....और यही रहस्य उस विश्व विजेता का.....साम्राज्य का सम्राट...या सम्राट का साम्राज्य..... हरि कथा अनन्ता'.....बारह घंटा नहीं.....मात्र बारह नाम....जरा चित्र के मन्त्र को निहारिये....शब्द कहते है....No obstacles will come in the way of one who reads or listens to these 12 names of Lord Ganesha at the beginning of education, at the time of marriage, while entering or exiting anything, during a battle or calamity.....जीवन का साक्षात् श्री गणेश....‪#‎विनायक‬# प्रारम्भ....गति का अनुभव....और इस अनुभव की अवधि.....स्वयं के अनुभव की बात....और सम्पूर्ण विश्व बोला...#विनायक-श्री गणेश#.....निश्चिन्त पुनरावृति का प्रारम्भ.....वर्ष २०१६.......“निश्चिन्त अन्तराल”….. मात्र बारह वर्ष....और ‪#‎सिंहस्थ‬ २०१६#.....देवत्व को स्पर्श करने का अवसर....गणनात्मक आस्थाओं का अदभुत उत्सव.....12 सेकण्ड, 12 मिनट, 12 घंटे, 12 दिन, 12 महीने, 12 राशियाँ, 12 वर्ष...सहज अमृत-वर्षा….प्रतीक्षा का आनन्द...सुनिश्चिंत परम-आनन्द......पावन स्थान....’अवन्तिका’ नगरी....महादेव के राज्य में राम घाट पर....बूंद-बूंद घड़ा भर जाए....हार्दिक स्वागतम....आश्रम का सन्देश यही....समस्त 1008….सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड हो सहज 108.....अजर-अमर.....‪#‎अक्षय‬#..... दो बार “राम राम" बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य....हिन्दी की शब्दावली में.....‘र' २७(27th) वां शब्द है....‘आ’ की मात्रा २ दूसरा(2nd).....‘म' २५ वां(25th) शब्द है.....अब तीनो अंको का योग करें तो (२७+२+२५=५४) अर्थात एक “राम” का योग ५४ हुआ…..इसी प्रकार दो “राम-राम” का कुल योग १०८ होगा....और १०८ बार जाप करना हमारे धर्म, संस्कृति और पुराणों मे पवित्र कहा गया है....अत: “राम-राम” के उच्चारण द्वारा हमें १०८ मनके की माला जपनें जैसा पुण्य प्राप्त होता है..अंक नौ(9-NINE)...सिद्ध-पूर्णांक....अक्षय अर्थात विनायक-अंक माना जाता है....(54=5+4=9)....(108=1+0+8=9)...(1008=1+0+0+8=9).....साधारण तथ्य--''जो ‪#‎उर्जा‬# को जागृत करे"....यही है 'विनायक-योग'.....’आमने-सामने’ एक दुसरे को “राम-राम” कहने के लिए....उत्तम 'वैदिक-योग'....सम्पूर्ण चर्चा का "संपर्क-सूत्र'...#विनायक-सूत्र#....#9165418344#........'9+1+6+5+4+1+8+3+4+4'='45'="9" अर्थात सहज अक्षय समीकरण....इस समीकरण में सम्पूर्ण अंक-शास्त्र सिर्फ तीन अंक गायब है.....0, 2, 7... और (0+2+7=9)....जो अप्रत्यक्ष है, वही प्रत्यक्ष है.....जो प्राप्त है, वहीं पर्याप्त है....ऐसा कहा जाता है कि #राम# नाम पापो का नाशक और मन को शांत करने वाला है...वास्तव मे ऐसा है क्योकि मंत्र शास्त्र के अनुसार "रा" अग्नि का बीज मन्त्र है जो कि पापो को भस्म करने को अग्नि के सिद्धान्त पर काम करता है और इसी तरह "म" चन्द्र का जो मन को शीतल और शांत करके शान्ति देता है....और कोई नेटवर्क मात्र इसलिए सफल होता है क्योंकि उसमे मित्रो की संख्या में इज़ाफा होता रहता है....और मित्र बनने-बनाने में ज्यादा विषमता कठिनाइयों को आमंत्रित कर सकती है....और सूक्ष्म प्रपंच भी मित्रता की जड़ में अशुद्धि का समावेश कर सकता है....और यह सदाबहार महावाक्य है कि ‪#‎यारी‬ है ईमान मेरा, यार मेरी जिन्दगी#.....संस्कारो में शुद्धता हो और गणना में संस्कार हो.....मात्र...ॐ सिद्ध आत्माय नम:.....ॐ पूण्य आत्माय नम:...ॐ दिव्य आत्माय नम:...स्मरण हेतु....सादर आमंत्रित है....स्वागतम #सिंहस्थ#....वर्ष-2016....ज्ञान की गंगा में शिव, शिवत्व तथा शिवत्व में समर्पण का समावेश हो जाये तो "सत्यम-शिवम्-सुंदरम" की अनुभूति सुनिश्चिंत है....राजा के लिए प्रजा ही सर्वोपरि.....सम्पूर्ण राज्य स्वयं के शरीर के स्वस्थ अंगो के समान...समस्त योजनाओं को मूल रूप में पात्र तक पहुचाये.....लाभकारी योजनाओं द्वारा प्रत्येक को लाभार्थी बनाये.....लाभांश का समान वितरण हो....साम...दाम....दण्ड....भेद......जो निखर कर बिखर जाए...वह कर्तव्य है और....जो बिखर कर निखर जाए....वह व्यक्तित्व होता है...सहज ‪#‎मर्यादा‬-पुरोषत्तम#....इसलिए राम हमारे आदर्श है....धर्म की रक्षा....धर्म की जय हो....अधर्म का नाश हो.....राम अपना राज्य भाई को दे देते है और रावण अपने भाई से राज्य छीन लेता है....इसी लिए राम से बड़ा राम का नाम....आदर्श तथा मर्यादा के मार्ग पर चलने का संकल्प मात्र स्वयं का निर्णय......राजा का निर्णय....सदैव परुषोत्तम....और यह हो जाए तब मर्यादा पुरुषोत्तम...जब हो अजर-अमर प्रार्थना....”सर्वे भवन्तु सुखिनः”.....विधान कहे सदा...विधि हो सदैव न्याय सम्मत.....सम्मति की संगत....मोरी रंग दे चुनरिया या काली कामली पर चढ़े न दूजो रंग......विवशता के पीछे विधि का विधान हो तो भी न्याय पालिका का सम्मान हो....और निर्णय में कर्म-प्रधान भाव हो......प्रत्येक तीर्थयात्री के लिए तीर्थ समान समानांतर.....चक्र-तीर्थ के समान काल-चक्र तो अक्षय, अखण्ड, शाश्वत......प्रजा की उपेक्षा धर्म के अनुसार पाप.....और धर्म की उपेक्षा महापाप....तब एक ही उपाय....भक्ति-भाव....आचरण में सम्पूर्ण राज्य-पक्ष का भाव भक्ति प्रधान हो....धर्म का सीधा-सीधा अर्थ समाज के निर्माण की व्यवस्था...और इनके प्रवर्तक महापुरुष होते हैं जो समाज को एक नयी दिशा व दशा प्रदान करते हैं और उसमें आवश्यक आयामों में समय के अनुसार सुधार करते हैं और समाज को एक आधार प्रदान करते हैं जो मनुष्य की सामाजिक व्यवस्था पर आधारित होता है....और राजा का गुरु कोई महापुरुष ही संभव है.....जो राज्य को संचालित करने हेतु मूल-मन्त्र का पाठ करे....बहुजन हिताय, बहुजन लाभाय....गहरी बात....गहरी चाल हरगिज नहीं....महापुरुष का मान राजा के द्वारा....और राजा का मान समस्त प्रजा द्वारा.....सहज मान-सम्मान की धारा....आमने-सामने....प्रत्येक चित्र, मित्र के रूप में....एक ‘निमंत्रण-पत्रिका’ या ‘VISITING CARD’ या ‘BANNER’ या ‘HOARDING’....जो भी हो....पर है....BECAUSE OF YOU…..हम इस दुनिया-दारी में गुम हो जाते है....तब गुम-शुदा की तलाश या गुमनाम.....तब कोई तो हो जो FIR अर्थात्....’रपट दर्ज करे’.....और गाँव की पुलिया पर लिखा है कि पानी ज्यादा होने पर “रपट पार करना मना है”....आसमान में पक्षी तथा वायुयान दोनों की दक्षता होती है, मगर समुद्र की गहराई तो गोताखोर ही मापने की हिम्मत कर सकता है....अनादि से अनन्त...सहज स्व-सत्संग......पांच अक्षर.....पांच पीढ़ी की ग्यारंटी नहीं....परन्तु मात्र एक मित्र भी अन्य पंच मित्रो को कहे चाहे वह कोई भी रूप हो....RADIO के....सच-मुच की रेडियोवाणी....मच-मच नहीं..... श्रवण, किर्तन, चिंतन, मनन....मात्र ‪#‎आकाशवाणी‬#....हेलो-हेलो....#राम-राम# सा.....‪#‎ससम्मान‬#.....जय हो....सादर नमन....बस यही है---#विनायक-अभिवादन#....# i am HEALTHY RADIO#....‪#‎स्वयं‬ को सहज सिद्ध करना अत्यन्त सरल#....‪#‎मुद्रा‬ या रोकड़# से महत्वपूर्ण #%#.....#विनायक-परिश्रम#....एक ही प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः" एवम् एक ही मुख्य विनायक आधार "गुरू कृपा हिं केवलमं"....आप सभी आमंत्रित है....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव.....हार्दिक स्वागतम…......”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...‪#‎vinayaksamadhan‬# ‪#‎INDORE‬#/#UJJAIN#/#DEWAS#..







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