Saturday 8 October 2016

कैरम खेलने की बात नही...स्ट्राइकर से निशाने वाली बात को ले कर बवाल नही....और सारा हंगामा बरपाने की वजह कहीं व्यर्थ तो नही ?...सर्जिकल तो समझ में आता है....सायकिल सीखते वक्त चोट दो-चार दिन में खुदबख़ुद ठीक हो जाती है....बस घाव पर मिटटी मल दो....just for operation....मगर STRIKE का मतलब तो कोई बच्चा भी बता सकता है....रट कर नही समझ कर....'अचानक किया गया हमला'....a sudden attack...specially by AIR....कीटाणुओं का सफाया करने के लिये दवाओं का इश्तेहार अखबारों में होता है....किन्तु अचानक का स्पष्टीकरण आवश्यक कदापि नही....परिणाम सामने होता है...हवा मे हलचल के रूप मे....और सुरक्षा के मद्देनजर जो भी उचित कार्य करे....तब प्रजा उसे सर-आँखों पर विराजमान कर लेती है...भले ही आपत्तियाँ हजार हो......विपत्ति से दो-दो हाथ करने वाले के साथ हजार हाथ....और ज़माना हजार आँखों से देखता है....शायद यही है...."सीधा-प्रसारण"....चोट गोपनीय हो तो तिलमिलाहट ज़रा ज्यादा होती है....और सामना करने की हिम्मत ना हो तो हाथ मलने के सिवाय कोई चारा नही.....घर मे गहरी नींद का राज़ सरहद पर ही हो सकता है....जहाँ पर हर एक पल कंधे से कन्धा मिलने के लिये...खरीदने-बेचने का कोई झंझट नही....सौदा बाजी की बात नही....मुनाफा ढूंढने की फ़जीहत नही....तब तो "खुदा-गवाह"....और अगर फिर भी मन साक्ष्य के बगैर संतुष्ट ना हो तो एक आखरी रास्ता...एक ही प्रार्थना...हे प्रभु आनंददाता, ज्ञान हमको दीजिये...शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये...और समझ में आ जावे तो...ALL IS WELL.....और सब-कुछ समझ कर यह जरूर समझ मे आता है कि....सबसे ज्यादा फायदा संत बनने के बाद....एक संत के पीछे अनेक....बाकायदा अनेकोनेक....तब संत कहे उसे, जो सुनता है, सबकी....अपनी ही धुन मे रहता हूँ, बिल्कुल तेरे जैसा हूँ...नीतिशास्त्र का कथन है कि
आयुर्वित्तं गृहछिद्रं मन्त्रौषधसमागमा:।
दानमानावमानाश्च न व गोप्या मनीषिभि:॥
अर्थात आयु, वित्त, गृहछिद्र, मन्त्र, औषध, समागम, दान, मान और अपमान ये नौ बुद्धिमानों के द्वारा गोपनीय हैं…..गणेश पुराण कहता है कि सम्मान, अपमान व दान का विज्ञापन नहीं करना चाहिए…."विनायक समाधान"...@...91654-18344........(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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