Wednesday 8 June 2016

जय हो.....‪#‎हिंदू‬# धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता है…..मात्र गलतफहमी या हकीकत क्या है ?..... वेदों में 33 कोटि देवी देवता का सहज उल्लेख.....शायद यही कारण कि देवी देवताओ कि संख्या 33 करोड हो सकती है....और शायद के स्पष्टीकरण के एवज में ‪#‎कोटि‬# शब्द का अध्ययन आवश्यक..... • कोटि • दर्जा • पद • प्रवर्ग • वर्ग • विभाग • श्रेणी... ‪#‎समान‬-वर्ग#.....category......ordinate......order.....rate.....grade......degree.....rank......quality......denomination.....ten million.... कोटि उन्नयन.... upgrade..... कोटि निर्धारण.... gradation... कोटिज्या.....cosine..... secant....कोटिपूरक अक्षांश....colatitude.... कोटिस्पर्शज्या.... cotangent.......जबकि सीधे-सीधे कोटि का सरल अर्थ ‪#‎श्रेणी‬# या प्रकार होता है.....संस्कृत में कोटि शब्द का अर्थ प्रकार होता है....और हिंदी मे करोड....और वेदों में 33 कोटि का अर्थ 33 करोड़ नहीं बल्कि 33 प्रकार तथा कोटि का आसान वर्गीकरण...उच्च, समकक्ष, निम्न....वेदो का तात्पर्य 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी देवता से है...33 कोटि देवो का जिक्र हर कहीं मिल जाता है.....ईश्वर देवताओं का भी देवता है और इसीलिए वह महादेव कहलाता है.....‪#‎हिन्दू‬# ग्रंथो में प्रकृति पूजा को प्रधानता दी गयी है.....क्योकि प्रकृति से ही मनुष्य जाति है ना की मनुष्य जाति से प्रकृति है अतः प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा उपयुक्त है यही कारण है कि सूर्य, चन्द्र, वरूण, वायु, अग्नि को देवता माना गया है... 33 कोटि अर्थात श्रेणी के देवताओ में.....8 वसु.....(पृथ्वी, जल, वायु , अग्नि, आकाश, सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र.....धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभाप), जिनमे सारा संसार निवास करता है......10 जीवनी शक्तियां और 1 जीव अर्थात ग्यारह रूद्र.....प्राण (प्राण, अपान, व्यान, उदान, समान, नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त , धनञ्जय ), ये तथा 1 जीव..... हर, बहुरूप, >यम्बक, अपराजिता, वृषाकपि, शम्भु, कपर्दी, रेवत, म्रग्व्यध, शर्व, कपाली.... 12 आदित्य अर्थात धाता, मित, अर्यमा, शुक्र, वरूण, अंश, भग,विवस्वान,पूषा,सविता, त्वष्टा, बिष्णु.....यथा वर्ष के 12 महीने.... 2 सक्रिय देव... इन्द्र ,अश्विनी कुमार....यथा ‪#‎विद्युत्‬# तथा ‪#‎यज्ञ‬#....चक्रतीर्थ के स्वामी......महामृत्युंजय....महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर में.... महर्षि वशिष्ठ....की दृष्टि में.... 8 वसु 11 रुद्र और....12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं...इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ....महामृत्युंजय मंत्र से......निहीत होती है,.....अत्यधिक उपयोगी.... निरंतर किये जाने वाले निस्वार्थ कर्म.....और इन 33 देवताओं का स्वामी परमपिता परमात्मा....परमानन्द....स्वयंभूः.....# महादेव#....जिसका सर्वोत्तम नाम ‪#‎ओ३म‬# है.....‪#‎ॐ‬#....रामायण और राम चरित मानस में अंतर मात्र यही है कि रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर....राम की चिड़िया, राम का खेत...जब हम मंदिर जाते है तो जाने के लिए अनेक नियम....एक समय पर जाना होता है, नहाना पडता है, खाली हाथ नहीं जाते कुछ फूल, फल साथ लेकर जाना होता है. साफ सुथरा होकर जाया जाता है.....और मानस जैसे मस्तिष्क अर्थात सरोवर, सरोवर में ऐसी कोई शर्त नहीं होती, समय की पाबंधी नहीं होती, कोई भेद नहीं होता ,कोई भी हो ,कैसा भी हो ? और व्यक्ति में स्वच्छता की लालसा जाग्रत हो तभी सरोवर में स्नान करने जाता है.माँ की गोद में कभी भी कैसे भी बैठा जा सकता है....इसलिए जो शुद्ध हो चुके है वे रामायण में चले जाए.....और जो शुद्ध होना चाहते है ....वे राम चरित मानस में आ जाए.राम कथा जीवन के दोष मिटाती है’’’......प्रस्तुत चित्रों से किसी भी चमत्कार की कोई उम्मीद नहीं....क्योंकि बाबा कहते है....करने से होता है.....सर्व-श्रेष्ठ सनातन सुन्दर नियम....प्रतिदिन का प्रारम्भ....प्रातः स्नान....वायु-स्नान से जल-स्नान...चित्र की गवाही....मन की आवाज...मन में लहर तरंग के माध्यम से….
"रामचरित मानस एहिनामा, सुनत श्रवन पाइअ विश्रामा"
राम चरित मानस तुलसीदास जी ने जब किताब पर ये शब्द लिखे तो
आड़े (horizontal)में रामचरितमानस ऐसा नहीं लिखा, खड़े में लिखा (vertical)
‪#‎राम‬
‪#‎चरित‬
‪#‎मानस‬......‪#‎प्रसादी‬-वितरण#......नेवैध्यम...पहचान या शान....स्वयं का निर्णय....और व्यायाम भूखे पेट लाजमी, सिद्धि भी भूखे पेट ही आती है......और धर्म उपवास की अनुमति तथा शक्ति देता है....और शक्ति भोजन से आती है....भजन में शक्तिशाली की तालियाँ बजती है....तब एक ही आगाज़.....सत्यमेव जयते....स्वयं को पवित्र मानना ही होगा....न हार का डर, न जीत का लालच....पुर्णतः निरपेक्ष....मात्र निरन्तर सापेक्षता...मात्र समक्ष होने के लिये....मात्र शब्दों का आदान-प्रदान....कश्तियाँ किनारों तक सुरक्षित पहुचाने के लिए....सिर्फ मेहनत में ईमानदारी चाहिए....और हर इबादतगाह में लिखा है....रहमत तेरी, मेहनत मेरी....मेहनत की ऐशगाह में आनन्द के सिवाय कुछ और...हरगिज नहीं....इश्क सूफियाना.....स्वयं में परिवर्तन, हर स्थितियों में संभव.....‪#‎विनायक‬# प्रारम्भ....जीवन की गति का अनुभव....COPY, PASTE & EDIT……तत्पश्चात......Save, Send, Publish....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS).

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