Thursday 19 January 2017

दुनियादारी से जुदा, एक पत्र, हर एक मित्र के लिए...मुलाकात का वक्त ख़त्म हो सकता है किंतु मुलाकाते कभी ख़त्म नहीं हो सकती है...खिलाडी मैदान में होता है तो प्रतिपल यह अहसास अवश्य होता है कि "कोई देख रहा है"...तब गलती को नज़र अंदाज़ करना भी अपराध माना जाता है....यह ईमानदारी की बात है....सरल पहलु का विज्ञापन सरलतम हो...."सरल" शब्द की समीक्षा...बल्ले से गेंद पर प्रहार सरल पहलु है...जीवन और मृत्यु सरल पहलु से युक्त प्रक्रियाएं है और जीवन का ज्यादातर समय सरल को कठिन में या फिर कठिन को सरल में बदलने में व्यतीत होता रहता है....बाकि सारा खेल विश्लेषण युक्त....'सरल' शब्द किसी वस्तु या विषय के लिए नहीं अपितु सिर्फ "पहलु" के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है...दुनिया में सबसे सरल और आसान कार्य है...चर्चा करना...."वार्तालाप"...आमने-सामने का खेल....मुलाकात का वक्त मुकर्रर.....अखबार पढ़ने जैसा सरल कार्य...कितना भी ज्ञान प्राप्त कर लो, मगर आफत आती है तो दिमाग की सक्रियता स्वतः सोचने पर सशर्त मजबूर कर देती है....और खुद से प्रश्न करना पड़ता है कि "अब क्या ?"....तब खुद को जवाब देने से पहले निगाहें कुछ तो ढूंढती है...इधर-उधर...किसी विश्वसनीय पहलु की तलाश जो प्राथमिक उपचार में प्रोत्साहन के रूप में कुछ दे दे....चाहे वह चुटकी भर भभूत ही हो....यह सब एक औपचारिकता से भरी रस्म भी हो सकती है, जिसे आदमी ना चाहते हुए भी निभा सकता है...मगर प्रार्थना के क्षेत्र में सिर्फ एक ही सवाल होता है कि 'वास्तविक' क्या ?....प्रस्तुत चित्र में दो शब्द-समूह इस्तेमाल किये गए है....प्रथम यह कि "beyond-imagination"...दूसरा यह कि "परम-आनंद"....अंतिम तथा तीसरा सिर्फ एक शब्द "अधिकार" जिसके लिए कोई भी संघर्ष कर सकता है....किसी भी कार्यक्रम में beyond imagination के बाद वास्तविकता आना तय शुदा कार्यक्रम है...और यह बात वास्तविक है कि किसी भी प्रार्थना को करने से पहले आनंद को धारण करना पड़ता है और यह तय है कि सरल होना ही "परम आनंद" है...इसी आधार पर विनायक माप-दण्ड यह कि मान, दान और अपमान हर एक के हिस्से में उपस्तिथ होता है...स्वयं के परिवार में निवेश भी दान की श्रेणी में आता है, इसीलिये घर आश्रम का स्वरूप माना गया है, जहाँ मान और अपमान का कोई मोल नहीं..कोई स्थायित्व नहीं...और सरलतम बात यह कि परम-आनंद हर एक का अधिकार हो सकता है....और यह सरल सत्य है कि "जो होना, सो होगा"....और यह सरल उत्सुकता होती है कि कब, क्या होगा ?...और यह सोचने का समय सबके पास कि...."सरल रूप से कैसे होगा ?"....और सरल प्रार्थना यही...."निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा" .....आपकी प्रसन्नता और खुशहाली ही विनायक समाधान की सफलता है....सदा आपके साथ......हार्दिक स्वागत.....विनायक समाधान @ 91654-18344....( इंदौर / उज्जैन /देवास )...जय हो....भले पधारो सा...



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