Wednesday 25 January 2017

निर्विधम कुरुमे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा....उत्तम मित्रोँ की खोज सतत जारी रहे...तब मित्रों के विभिन्न रूप...इत्र, चित्र, किताब....इन सब से अकेलापन डर कर भाग जाता है...यह शास्त्रों का कहना है....आदम जात तीन उपलब्धियों का आशिक या हक़दार होता है...सिद्धि, परम-गति और सुख...सिद्धि के लिये साधना अनिवार्य....परम-गति हेतु जीवन को जीना अनिवार्य....सुख भोगने के लिये सात्विक होना अनिवार्य....और इन सबका एक ही उपाय....शास्त्रविधि को अपना कर स्व-निधि बनाया जाय...कहने, रहने औऱ सहने मे.... आहार, विहार औऱ सदाचार..कर्तव्य औऱ अकर्तव्य की व्यवस्था मे सिर्फ शास्त्र ही प्रमाण सिद्ध होते है... शास्त्र विधि से नित्य कर्म जारी रहे तो जीवन संवरने को कोई संशयं नही..सबसे बड़ा पाप धोखा या विश्वासघात....धोखा विष समान...खा लेना बेहतर किन्तु देना पाप...

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