Wednesday 25 January 2017

"तत्व-दर्शन" में सिर्फ वर्तमान को महत्व दिया जा सकता है...तत्व-दर्शन में सपने देखने के लिए वायुमंडल को साक्षात् मानना पड़ता है....जन्म-पत्रिका या हस्त-रेखा की बात नही...और हाथ से आदमी प्रतिपल लाईन खीचता रहता है...वायुमंडल में हवा मे हाथ हिला कर....माँ के गर्भ में हरकत करके...और इस योग का कोई प्रूफ नही...क्योंकि पत्रिका मे दिनाँक से ही अस्तित्व माना है...और फेस रीडिंग भी आमने-सामने ही सम्भव है..और हाथ-पैर को कौन देखे जब रिश्ता हो दिल का....तब यह बात नही भूलनी चाहिए कि सारी घटना दो लोगो के बीच की है....संतान और माता के बीच मौन चर्चा...'जनक' राजा हो कर भी जुदा....किसी चर्च मे नही बल्कि समान वायुमण्डल में...सिमित मगर शक्तिशाली दायरा...जो दिखाई ना दे मगर महसूस हो...अनुभव से बाहर कुछ भी नही...सारी परीक्षा कोर्स की किताब से....सौ मे से सौ...शत-प्रतिशत....हमेशा की तरह...हमेशा के लिये...सादर वन्दन...आनन्द रहे सदैव...जीवन रहे सदाबहार....विनायक समाधान @ 91654-18344...इंदौर/उज्जैन/देवास…

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