Wednesday 25 January 2017

स्कुल की कुछ बाते याद है.....इतना पता है कि श्लोक सबसे जल्दी याद होते थे....
*यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् |
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ||
....जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता है उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है....चाहे ज्योतिष-शास्त्र कुछ भी कहे...विधाता के भाग्य मे समझौता शब्द कहीं न कहीं अंकित हो सकता है.....मेहनत की ताकत अपना जौहर दिखा कर रहती है....तब बलवान कौन ?....
*बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः |
श्रुतवानपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः ||
....अर्थात् जो व्यक्ति धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है वह व्यक्ति बलवान् हो कर भी असमर्थ....धनवान् हो कर भी निर्धन....ज्ञानी हो कर भी मूर्ख हो सकता है....और तब धर्म, मित्र बन कर आपको ताकतवर अर्थात शीतल धैर्य धारण करने योग्य बनाता है...
*चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः |
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः ||
.....अर्थात् संसार में चन्दन को शीतल माना जाता है लेकिन चन्द्रमा, चन्दन से भी शीतल होता है.....और अच्छे मित्रों का साथ चन्द्र और चन्दन दोनों की तुलना में अधिक शीतलता देने वाला होता है....यानि कि वास्तविक ताकत....जो किसी भी संत के पास सहज रूप से निश्चिन्त रूप से होती है....तब संत कौन ?....
*साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
.....हम में हर एक....इस संसार में ऐसा सज्जन जो अनाज साफ़ करने वाला सूपडा साबित हो...जो सार्थक को बचा कर निरर्थक को उड़ा दे...यदि यह सिद्धि सिद्ध हो जाये तो कोई भी पुरुष योगी कहला सकता है....तब योगी कौन ?...
*तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई...
सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होइ...
....शरीर पर भगवे वस्त्र धारण करना सरल है....पर मन को योगी बनाना कठिन अभ्यास का काम है ....मन की चंचलता के आगे प्रकृति भी हार जाती है...य़दि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं..... विचार जीवन का निर्माण करते हैं....यहाँ प्रस्तुत विभिन्न कथन जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते है अथवा नहीं....किन्तु मन में एक हलचल अवश्य हो सकती है....जैसे पानी मे कंकर फेंक कर लहर पैदा की जा सकती है...और यह वास्तविक क्रिया है....सॉफ्टवेयर की बात नहीं...लेकिन हार्डवेयर में हाथ में कंकर और पैंदे में पानी जरुरी है....और लहर स्क्रीन को कवर कर लेगी....बस इतनी सी क्रिया मे सॉफ्टवेयर की फैक्ट्री चल निकलती है....दो लोगो मे विचार...आमने-सामने....BEST SOFTWARE....आपके और आपके द्वारा चयनित माध्यम के बीच तालमेल में लय-ताल...
Both are essentially infinite choice-makers....In every moment of existence.....both are in that field of all possibilities where approach to an infinity of choices.....हमेशा की तरह...हमेशा के लिये...सादर वन्दन...आनन्द रहे सदैव...जीवन रहे सदाबहार....विनायक समाधान @ 91654-18344...इंदौर/उज्जैन/देवास…

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