जय गजानन्द, सदा रहे आनन्द....विनायक समाधान की ओर से सादर वन्दे.... अनुभव की पाठशाला में जो पाठ सीखे जाते हैं,
वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों मे नहीं मिलते।
..आशा करते है कि आपके समस्त कार्य सुचारू रूप से संचालित होते रहे....फुर्सत के क्षणों में शब्दों का आदान-प्रदान अर्थात चर्चा का योग, समय अनुसार.....उच्च, समकक्ष या मध्यम....शुद्ध रूप से....स्वयं का निर्णय हो सकता है...आमने-सामने...face to face...शब्दों का सम्मान...पूर्ण स्वतंत्रता के साथ...आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते....सादर नमन्...जय हो.
वे पुस्तकों और विश्वविद्यालयों मे नहीं मिलते।
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