Wednesday 16 December 2015

विनायक कामना की पूर्ति हेतु विनायक प्रार्थना....एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि केवलम्' ...एकमात्र विनायक उद्देश्य--'सर्वे भवन्तु सुखिनः'...#‎ईश्वर‬# तुल्यं या सर्वोपरि ‪#‎गुरु‬# के स्थान की गणना या मान्यता या तुलना ...परिवार में माता-पिता....शरीर में मष्तिष्क....जन्म-पत्रिका में वृहस्पति ग्रह....हस्त-रेखा में गुरु पर्वत...मित्र-मण्डल में सम्माननीय गण....समाज में वरिष्ठ अथवा बुजुर्ग....कार्य-क्षेत्र या राज्य-पक्ष में वरिष्ठ अथवा सम्माननीय...आश्रम में कल्याणकारी गुरु श्री....एकलव्य जी ने तो गुरु द्रोणाचार्य जी की मूर्ती को सर्वस्व मान लिया था....और सर्वश्रेष्ठ साबित हुए....गुरु को किसी भी रूप में माना जाये परन्तु #गुरु# का श्रृगार श्रद्धा एवम् एकाग्रता से ही सम्भव है.....”श्रद्धावान लभते ज्ञानम”..... लाभ अर्थात ज्ञान अर्थात श्रवण, किर्तन, चिन्तन, मनन अर्थात निर्णय लेने की क्षमता...अर्थात ‪#‎अध्ययन‬#...
‪#‎पानी‬# आकाश से गिरे तो........‪#‎बारिश‬#
आकाश की ओर उठे तो........‪#‎भाप‬#
अगर जम कर गिरे तो...........‪#‎ओले‬#
अगर गिर कर जमे तो...........‪#‎बर्फ‬#
फूल पर हो तो....................‪#‎ओस‬#
फूल से निकले तो................‪#‎इत्र‬#
जमा हो जाए तो..................‪#‎झील‬#
बहने लगे तो......................‪#‎नदी‬#
सीमाओं में रहे तो................‪#‎जीवन‬#
सीमाएं तोड़ दे तो................‪#‎प्रलय‬#
आँख से निकले तो..............‪#‎आँसू‬#
शरीर से निकले तो..............‪#‎पसीना‬# और
‪#‎श्री‬ हरी# के चरणों को छू कर निकले तो....‪#‎चरणामृत‬#.....अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में
है जीत तुम्हारे हाथों मैं, है हार तुम्हारे हाथों में.
मेरा निश्चय है ये एक यही एक बार तुम्हें पा जाऊं मैं,
अर्पण करदूं दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में.
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में
जो जग मे रहूं तो ऐसे रहूं ज्यों जल में कमल का फूल रहे,
मेरे सब गुण दोष समर्पित हो, भगवान तुम्हारे हाथों में
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे में
यदि मानव ही मुझे जन्म मिले, तब-तब
श्री चरणों का पुजारी बनूँ.
मुझ पूजक की एक-एक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में
जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से कर्म करूं,
फिर अंत समय में प्राण तजू, निराकार तुम्हारे हाथों में.
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में
मुझमें तुझमें है भेद यही, मैं नर हूँ तुम नारायण हो,
मैं हूँ संसार के हाथों में संसार तुम्हारे हाथों में.
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों मैं
है जीत तुम्हारे हाथों मैं, है हार तुम्हारे हाथों.....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”‪#‎विनायक‬-समाधान#” @ #09165418344#...‪#‎vinayaksamadhan‬# ‪#‎INDORE‬#/‪#‎UJJAIN‬#/‪#‎DEWAS‬#...जय हो...सादर नमन...‪#‎Regards‬#...








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