#LIVE#.....From the desk of #VINAYAKSAMADHAN#.......जब तक #सूरज# , #चाँद# रहेगा....तब तक किसका नाम रहेगा ?....मालुम नहीं....पर #राम# से बड़ा #राम# का नाम......शायद शब्दों की #मृत्यु# संभव नहीं........#तीन रेखाओं का खेल#....हार या जीत पूर्णत: नदारद.....#पूर्णत: सात्विक#.....एकान्त का सार्वजानिक प्रदर्शन.....#अध्यात्म#
कौतुक तथा आश्चर्य या चमत्कार का विषय हरगिज नहीं है...अध्यात्म गहन बोध
एवं अनुभव का विषय है...इस क्षेत्र के अनगिनत आयाम तथा अनंत अभिव्यक्तियाँ
हो सकती है...इस विषय पर बहुत कुछ प्रस्तुत हुआ है, परन्तु यह विषय कभी
भी अपनी थाह नहीं पा सका...शायद सही कहा गया है--"हरी कथा अनंता"...हमेशा
कुछ बाकि रह जाता है, कहने के लिये...क्योंकि धर्म का सम्बन्ध भावनाओ से
है...शुद्ध आस्था या श्रद्धा...शत-प्रतिशत व्यक्त करना असंभव, किन्तु महसूस
करना सहज आसान...यदि यात्रा लंबी हो, तब किसी वृक्ष की #छाँव# में विश्राम की इच्छा प्रत्येक की हो सकती है...इस विश्राम की अवधि में न हम वृक्ष से चर्चा करते है, ना ही वृक्ष हमसे #चर्चा#
करता है....बस एक आनंद का अनुभव होता है....इच्छा बड़ी सामान्य तथा विचित्र
है...हम कुछ कहलाने में "वान" शब्द का उपयोग चाहते है...जैसे गुणवान,
विद्धवान, रूपवान, धनवान, पहलवान, जवान, धैर्यवान, भाग्यवान् इत्यादि...और
यकीन मानिये...'वान' शब्द को हासिल करने के लिए निश्चिन्त रूप से अनुभव के
साथ-साथ परिश्रम की आवश्यकता होती है...और हमारी ज्ञानेन्द्रियों का अनुभव
कहता है कि "जो उंगली पकड़ कर चलना सिखाये"...हम उसी को श्रद्धा तथा आस्था
के साथ "गुरु" शब्द से सम्बोधन करते है...और अनुभव कहता है--वह एक भी है और
अनेक भी है...और एक मजेदार पहलु यह कि 'वान' शब्द हासिल करने के पश्चात्
दुविधाएं बढ़ती प्रतीत हो सकती है...शीर्ष पर स्थापित रहना भी किसी चुनौती
से कम नहीं...कभी-कभी हमें यह भ्रम हो जाता है कि संसार में हम से ज्यादा
सुखी या हम से ज्यादा दुःखी कोई और नहीं हो सकता है, परन्तु यह बात ग़ौरतलब
है कि सुख हो या दुःख दोनों उतने ही क्षणिक है, जितना हमारा जीवन......इन
तीन लाइनों पर, जो कागज पर किसी भी मित्र द्वारा खीचीं जाती है, चर्चा
शुद्ध रूप से व्यक्तिगत होती है, आप सभी मित्रों ने अभी तक देखा होगा कि
जितनी भी, अभी तक चर्चा हुई है, किसी वयक्ति विशेष का नाम उल्लेखित नहीं
होता है....संभव नहीं है...नाम तो राम का ही बड़ा है...'राम से बड़ा राम का
नाम'....अर्थात मर्यादा पुरुषोत्तम....जब हम किसी पहलु पर आवश्यकता के
अनुरूप सोचने में असमर्थ होते है तो सामानांतर सोचने वाले की आवश्यकता
महसूस हो सकती है....इसी पहलु को ध्यान में रख कर 'विनायक चर्चा' का आयोजन
किया गया है....# # से महत्वपूर्ण #%#.....#विनायक-परिश्रम#....एक
ही प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः" एवम् एक ही आधार "गुरू कृपा हिं
केवलमं"....आप सभी आमंत्रित है....पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सुविधा
सिध्द होती रहेगी....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान
हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर
"रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @
#91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#
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