Saturday 5 December 2015



#Hello Everybody….All  of US are Editors….Be sure regarding this…समस्त सम्पादक महोदय...जय हो....शाश्वत सत्य....One Step Must Start Each Journey…So Know Everything About Something….&….Something About Everything…&….Be “OUTSTANDING”…..मात्र जानकारी का संपादन....अखबार लाजवाब होता है, यदि संपादक दमदार अर्थात #OUTSTANDING# हो तो....अर्थात सम्मान....सर्वत्र....और कार्य मात्र....”शब्दों का प्रबंधन”....सब सरसरी निगाहों का खेल....प्रति-पल से प्रतिदिन...तत्पश्चात सदैव.....सिर्फ ज्ञान की सत्ता....बाँधने का सूत्र.....आदेश तथा आग्रह में पूर्ण मित्रता....मगर निर्णय में मात्र मस्तिष्क संग मित्रता....शायद इसे आत्मविश्वास कह सकते है....शायद इसी का परिणाम हो सकता है की ‘प्रति-पल उम्दा’...प्रतिदिन उल्लास....और सदैव खुशहाली.....एक पत्रकार मित्र से पूछने पर ज्ञात हुआ कि सम्पादक की योग्यता किस स्तर की हो सकती है ?....जो ठोकर खा कर ठाकुर बन जाता है...वही सम्पादक माना जाता....अर्थात प्रसन्न होने पर भी सहज गंभीरता....सहज अनुभव....यह जान कर कि दर्द भी गंभीरतापूर्वक सहन करना पड़ सकते है....गति का अनुभव....COPY, PASTE & EDIT……तत्पश्चात...... Save, Send, Publish....जीवन को....”कोरा कागज़ के स्थान पर भरा-पूरा अखबार”.....मान सकते है....तब हम स्वयं ‘संपादक’ सिद्ध होते है....सही फैसले लें, साहसी फैसले लें और सही समय पर लेंयह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ? महत्वपूर्ण यह है कि आप स्वयं के बारे में क्या सोचते हैं ?......आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है कि प्रयास की अंतिम सीमाओं तक पहुंचा जाएSo Be A Editor...The in-charge of your own 'EDITION'....जैसा कि चित्र से मालुम होता है कि प्रभु “विनायक” भी स्वयं सम्पादित है.....वह भी साक्षात स्वयंभू द्वारा....हर सम्पादन पूर्णत: सात्विक....Editing  अर्थात "कांट-छांट"....सामान्य काम....प्रत्येक के लिये...और सीखना भी सामान्य....ठीक जैसे....”Grant me a place to stand i shall lift the Earth....किसी भी 'विनायक-पोस्ट' को किसी भी दृष्टि से कांट-छांट या "COPY या PEST" करे...और पारंगत होने का सुअवसर....रंग में रंगने का 'विनायक-परिश्रम'...न हार का डर, न जीत का लालच...Save, Send, Publish, Share....स्वयं का निर्णय.... हम क्या चाहते है ? और उसे किस प्रकार हासिल करना चाहते है ?...एडिटिंग का अभिप्राय आत्म-संशोधन से है……हमारा ऑडिट तो कोई भी कर देगा……आत्म-संशोधित करने का काम हमें स्वयं करना होगा.....जय श्री महाकाल.....शतरंज की चालों का खौफ उन्हें होता है , जो सियासत करते है  और रियासत की चाह रखते है.......अखण्ड ब्रहमांड के राजा महाकाल के भक्त है तो न हार का डर, न जीत का लालच....चिन्ता हो ना भय...सम्पूर्ण निर्भय....’हर-हर महादेव’....चिन्तामण चिन्ता हरे । कष्ट हरे महाँकाल ।। हरसिध्दी माँ सिध्दी दे । आशीष दे गोपाल ||....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...#विनायक समाधान#” @ 91654-18344...#vinayaksamadhan# (INDORE/UJJAIN/DEWAS)#











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