Friday 4 December 2015


#व्यापारी हर शाम दुकान बंद करते समय दिन भर की बिक्री और खर्चों का हिसाब लगाता है, अकेले में,एकान्त में....और भाव-ताव में हुई गलती को दूसरे दिन नहीं दोहराता…..वैसे ही हम  भी रोज अपने में से अप्रिय का संशोधन कर उसकी पुनरावृत्ति न करने का संकल्प लें तो न केवल हम सब के प्रिय बनेंगे अपितु परमात्मा के निकटतम 'प्रिय' में हमारा नाम पहला होगा.....कुछ रहस्यों को गोपनीय रखना भी आवश्यक होता है…..ईश्वर ने हम मनुष्यों  को बुद्धि का वरदान इसीलिए दिया है कि हम सदा सोच-समझकर विचार करें और बोलें….नीतिशास्त्र का कथन है कि निम्न बातों की चर्चा कभी किसी के सामने नहीं करनी चाहिए-
आयुर्वित्तं गृहछिद्रं मन्त्रौषधसमागमा:।
दानमानावमानाश्च न व गोप्या मनीषिभि:॥
अर्थात आयु, वित्त, गृहछिद्र, मन्त्र, औषध, समागम, दान, मान और अपमान ये नौ बुद्धिमानों के द्वारा गोपनीय हैं…..गणेश पुराण कहता है कि सम्मान, अपमान व दान का विज्ञापन नहीं करना चाहिए…..कई बार प्राप्ति से नहीं अपितु त्याग से  जीवन का मूल्यांकन किया जाता है….माना कि जीवन में पाने के लिए बहुत  कुछ है मगर इतना ही पर्याप्त नहीं क्योंकि यहाँ खोने को भी बहुत कुछ है….बहुत चीजें जीवन में अवश्य प्राप्त कर लेनी चाहियें मगर बहुत सी चीजें जीवन में त्याग भी देनी चाहियें…..जीवन में कोई भी चीज इतनी खतरनाक नहीं जितना भ्रम में और डांवाडोल की स्थिति में रहना है…..आदमी स्वयं अनिर्णय की स्थिति में रहकर अपना नुकसान करता है…..सही समय पर और सही निर्णय ना लेने के कारण ही व्यक्ति असफल भी होता है…..सही फैसले लें, साहसी फैसले लें और सही समय पर लेंयह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ? महत्वपूर्ण यह है कि आप स्वयं के बारे में क्या सोचते हैं ?......आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है कि प्रयास की अंतिम सीमाओं तक पहुंचा जाएSo Be A Editor...The in-charge of 'EDITION'...editing  अर्थात "कांट-छांट"....सामान्य काम....प्रत्येक के लिये...और सीखना भी सामान्य....किसी भी 'विनायक-पोस्ट' को किसी भी दृष्टि से कांट-छांट या "COPY या PEST" करे...और पारंगत होने का सुअवसर....रंग में रंगने का 'विनायक-परिश्रम'...न हार का डर, न जीत का लालच...Save, Send, Publish....स्वयं का निर्णय.... हम क्या चाहते है ? और उसे किस प्रकार हासिल करना चाहते है ?...एडिटिंग का अभिप्राय आत्म-संशोधन से है……हमारा ऑडिट तो कोई भी कर देगा……आत्म-संशोधित करने का काम हमें स्वयं करना होगा.....जय श्री महाकाल.....शतरंज की चालों का खौफ उन्हें होता है , जो सियासत करते है...अखण्ड ब्रहमांड के राजा महाकाल के भक्त है तो न हार का डर, न जीत का लालच....चिन्ता हो ना भय...’हर-हर महादेव’....चिन्तामण चिन्ता हरे । कष्ट हरे महाँकाल ।। हरसिध्दी माँ सिध्दी दे । आशीष दे गोपाल ||....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...#विनायक समाधान#” @ 91654-18344...#vinayaksamadhan# (INDORE/UJJAIN/DEWAS)#









No comments:

Post a Comment