#सहिष्णु# का विलोम(Opposite)....#असहिष्णु#....ठीक किसी नदी की धारा के विपरीत धारा...#Intolerance#.... #GOD#....#G-Generator....सृष्टि का निर्माण...ब्रहम-देव 'ब्रह्मा जी'....#O-Operator....सृष्टि के संचालक....नारायण 'श्री विष्णु'.....और अंत में #D-Destroyer....मात्र अति का अंत तथा मति (बुद्धि) का 'श्रीं गणेश'....देवो के देव....'महादेव'....स्वयं के नाथ है या नहीं परन्तु
नाम..."भोले-नाथ"...."स्वयंभू"....बड़े आदमी अलग-अलग परिवेश
में विभिन्न आवास....परन्तु मानसरोवर का युग्म बनने हेतु....शम्भू गए कैलाश....'कैलाश-मानसरोवर'....अब सम्पूर्ण सृष्टि का भार ‘श्री हरी’ के पास....विष्णु....संचालक या प्रचालक.....TOTAL OPERATION…..चाणक्य-नीति
तथा विदुर-नीति का सुदृढ़ सामंजस्य......साम, दाम, दण्ड, भेद.....पूर्ण रूपेण
सहिष्णु प्रशासन.....शायद इसीलिए विष्णु नाम सार्थक....आग्रहपूर्वक आदेश या सविनय
अवज्ञा......मूल्यों का हास् या क्षय कदापि नहीं....क्षमा, रक्षा, न्याय,
व्यवस्था.....विधि का विधान....सम्पूर्ण ‘विधायक-चिंतन”......न उत्पत्ति, न
संहार......बस उचित परवरिश.....न जीत का लालच, न हार का डर.....’हरी करे सो खरी’....’नर
ही नारायण’....हरी कथा अनंता.....शिखर-दर्शन हो या गर्भ-गृह.....समान आस्था तथा
श्रध्दा.....सहज श्री विष्णु समान ख्यात
हस्तियों का जीवन बयान करता है कि सर्वाधिक सुरक्षित वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से
मात्र #भारत-देश# हो सकता है.....सामान्य-पहलु....हर
व्यक्ति मात्र साधारण ही हो सकता है....परन्तु किये गए प्रयास या कार्य से वह
असाधारण कहला सकता है....सम्मान की धारा....यत्र-तत्र-सर्वत्र.....Ordinary may be
Extra-Ordinary…..Just due to mind…..सिर्फ मस्तिष्क की विचार-धारा.....और यदि असहिष्णुता (INTOLERANCE) की चर्चा होती है तो अन्त में
मस्तिष्क का यही निर्णय हो सकता है कि.....#Wait is Over#….COME-HOME…..&…..Come-Soon....मात्र आश्रय प्रदान करने का
आशय....भय हरगिज नहीं....रूठने-मनाने के साथ मान-मनवार का संस्कार भारत-राष्ट्र की
शान है....परन्तु सिर्फ रूठने की व्याधि को हठधर्मिता कहा जा सकता है...”भारत-वर्ष” ने सदैव अन्तराष्ट्रीय जगत को कहा
है...#”पधारो म्हारे देश”#...पूर्ण सुरक्षित....धर्म-निरपेक्ष....Service Before
Self…..अपनों से अधिक पराये को
प्यार....अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर यही छवि....यह हम नहीं राष्ट्र-भक्ति कहती
है.....#मेरा भारत महान#.....सम्पूर्ण संविधान का विधान
पूर्ण-रूपेण सहिष्णु.....
अनेकता में एकता....अनेक मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, चर्च.....प्रत्येक का ससम्मान
सर्वत्र स्वागत.....’स्वतंत्रता’ प्रतिबंधन से पूर्ण मुक्त....’समस्त सम्प्रदाय से
सम्बन्धित सर्वाधिक स्तुति-स्थल’...सम्पूर्ण विश्व मानो भारत-वर्ष में बसा
हो....यह विशेषता कहीं ओर, भला कहाँ ?......सर्वाधिक विभिन्न
प्रार्थना-स्थल....सर्वाधिक आस्था तथा श्रद्धा.....हर उत्सव में उत्साह और
उल्लास.....हर गूंज में राष्ट्र की पुकार....’#मेरा भारत महान#’.....तत्पश्चात तो
गणनाये यही बयां करती है कि #सत्य मेव जयते#.....तब तो #INTOLERANCE#…..असहिष्णुता.....मात्र मिथ्या सिद्ध हो सकती है....हार्दिक
स्वागतम....’विनायक समाधान’....#vinayaksamadhan#@#9165418344#...(INDORE+UJJAIN+DEWAS)....#vinayaksamadhan#....जय हो...सादर नमन...Regards#
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