Monday 14 December 2015


#चित्र# ही #मित्र# का स्वरूप.....अब तो सिद्ध हो कर रहेगा......#अखण्ड#...#अक्षय#....जब तक #सूरज# , #चाँद# रहेगा....तब तक किसका नाम रहेगा ?....मालुम नहीं....पर #राम# से बड़ा #राम# का नाम......और जब नाम की बारी आती है तो #विनायक# मित्र श्री #अक्षय अमेरिया साहब का नाम लेना इसलिए उचित होगा कि निम्न चित्र में से कोई एक इन्ही #विनायक-मित्र# की कृति सादर #विनायक# उपहार है...#बूझो तो जाने#.....मित्र का चित्र, मित्र द्वारा....#गूढ़ रहस्य#…..#सहज-सार्वजनिक#...#आमने-सामने# …स्वामी #विवेकानंद# को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और पूछा गया.....तुम #हिन्दू# लोग मूर्ति की पूजा करते हो....मिट्टी, पीतल, पत्थर की मूर्ति का....पर मैं ये सब नही मानता....ये तो केवल एक पदार्थ है....राजा के सिंहासन के पीछे किसी की तस्वीर लगी थी....#विवेकानंद# जी ने राजा से पूछा, “राजा जी, ये तस्वीर किसकी है?”....राजा ने कहा, “मेरे पिताजी की....स्वामी जी बोले, “उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिये...राजा तस्वीर को हाथ मे ले लेता है...स्वामी जी राजा से :अब आप उस तस्वीर पर थूकिए!......राजा : ये आप क्या बोल रहे हैं स्वामी जी.?“.....स्वामी जी : मैंने कहा उस तस्वीर पर थूकिए.....राजा (क्रोध से) :स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना?....मैं ये काम नही कर सकता.....स्वामी जी बोले, “क्यों?....ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है, और जिस पर कूछ रंग लगा है....इसमे ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है, और ना ही कूछ बोल सकता है.....ना ही हड्डी है और ना प्राण.... फिर भी आप इस पर कभी थूक नही सकते.....क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो....आप इस तस्वीर का अनादर करना, अपने पिता का अनादर करना समझते हो....वैसे ही, हम #हिंदू# भी उन पत्थर, मिट्टी,या धातु की पूजा #भगवान# का स्वरूप मानकर करते हैं.....#भगवान# तो कण-कण मे है, पर एक #आधार# मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ति पूजा करते हैं.....जीवन का #आधार#....#आस्था#......गुरु #द्रोणाचार्य# की मूर्ति का पुजारी भला #एकलव्य# से बेहतर कौन ?....माँ को भी ममता की मूर्ति कहा जाता है....और #चित्र# से बेहतरीन #मित्र# भला और कौन ?....#आँखे# मनुष्य की सर्वोत्तम ज्ञानेन्द्रिय अंग है....किसी भी चित्र तो सोलह सेकण्ड तक स्वतः #अध्ययन# करती रहती है....और हमेशा के लिए संग्रह कर सकती है....और यह किसी #चमत्कार# से कम नहीं....शायद इसीलिए #त्राटक# योग सर्वोत्तम #ध्यान# माना गया है....यह सत्य है कि #चित्र# बोलते है....और #ईशान# में अवश्य बोलते है...बस #ध्यान# से सुनना होगा...बस सहज #ध्यान# ही विनम्र निवेदन....#%#.....#विनायक-परिश्रम#....एक ही प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः" एवम् एक ही आधार "गुरू कृपा हिं केवलमं"....आप सभी आमंत्रित है....पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सुविधा सिध्द होती रहेगी....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #09165418344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#...जय हो...सादर नमन...#Regards#...




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