Sunday 13 December 2015

REGARDS.....MOST WEL COME......राम-राम सा....#‎राम‬-राम सा#....यही है 'विनायक-योग'....‪#‎अजर‬-अमर गणना#.....‪#‎अखण्ड‬#...‪#‎अक्षय‬#....जब तक ‪#‎सूरज‬# , ‪#‎चाँद‬# रहेगा....तब तक किसका नाम रहेगा ?....मालुम नहीं....पर #राम# से बड़ा #राम# का नाम......और जब नाम की बारी आती है तो विनायक मित्र श्री #अक्षय अमेरिया साहब का नाम लेना इसलिए उचित होगा कि निम्न चित्र में से कोई एक इन्ही विनायक मित्र की कृति सादर विनायक उपहार है...‪#‎बूझो‬ तो जाने#......‪#‎गूढ़‬ रहस्य#…..‪#‎सहज‬-सार्वजनिक#...’आमने-सामने’ एक दुसरे को “राम-राम” कहने के लिए……‘राम-राम’ का जवाब भी ‘राम-राम’ से अतिशीघ्र आता है...बहुत आसान...‘दो और दो चार’ या ‘दो दुनी चार’ या ‘आँखे-चार’....”सत्संग ही श्रेष्ठ अचार”......दो बार “राम राम" बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य…...वह भी आदि काल से......आइये जरा-सा अध्ययन करते है.....हिन्दी की शब्दावली में.....‘र' २७(27th) वां शब्द है....‘आ’ की मात्रा २ दूसरा(2nd).....‘म' २५ वां(25th) शब्द है.....अब तीनो अंको का योग करें तो (२७+२+२५=५४) अर्थात एक “राम” का योग ५४ हुआ…..इसी प्रकार दो “राम-राम” का कुल योग १०८ होगा....हम जब कोई जाप करते हैं तो १०८ मनके की माला गिनकर करते हैं क्योंकि १०८ बार जाप करना हमारे धर्म, संस्कृति और पुराणों मे पवित्र कहा गया है....अत: जब हम दो बार “राम-राम” का उच्चारण करते हैं तो हमें १०८ मनके की माला जपनें जैसा पुण्य प्राप्त होता है….अब वैदिक गणित...अंक नौ(9-NINE)...सिद्ध-पूर्णांक....अक्षय अर्थात विनायक-अंक माना जाता है....(54=5+4=9)....(108=1+0+8=9)...(1008=1+0+0+8=9).....साधारण तथ्य--''जो ‪#‎उर्जा‬# को जागृत करे"....यही है 'विनायक-योग'.....’आमने-सामने’ एक दुसरे को “राम-राम” कहने के लिए.....ठीक जैसे उत्तम 'वैदिक-योग'....सम्पूर्ण चर्चा का "संपर्क-सूत्र'..."विनायक-सूत्र"...."91654-18344"...'9+1+6+5+4+1+8+3+4+4'='45'="9" अर्थात सहज अक्षय समीकरण....इस समीकरण में सम्पूर्ण अंक-शास्त्र सिर्फ तीन अंक गायब है.....0, 2, 7... और (0+2+7=9)....जो अप्रत्यक्ष है, वही प्रत्यक्ष है....यह बात अलग है कि दोनों को जानने के लिए समीकरण हल करना अनिवार्य है...सात्विक तथा सहज परिश्रम...'विनायक-परिश्रम'...मात्र अध्ययन...अध्ययन के अनेक अंग....सबका एक ही रंग....मात्र, सिर्फ, केवल, Only..."सत्संग"...जहाँ और कुछ नहीं हो सकता है, बस...."ईश्वर की उपस्तिथि का अहसास होता है"....#%#.....‪#‎विनायक‬-परिश्रम#....एक ही प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः" एवम् एक ही आधार "गुरू कृपा हिं केवलमं"....आप सभी आमंत्रित है....पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सुविधा सिध्द होती रहेगी....हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #09165418344#...‪#‎vinayaksamadhan‬# ‪#‎INDORE‬#/‪#‎UJJAIN‬#/‪#‎DEWAS‬#...जय हो...सादर नमन...‪#‎Regards‬#....





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