Monday 9 November 2015










सुविधाओं की बढ़ोतरी के बारे में कोई भी बेहतर सोच सकता है....परन्तु बात कटौती या दमन या कमि या अभाव की होती है तब यदि इस बेहतर सोच का उपयोग हो जाए तब सार्थकता स्वतः सिद्ध हो सकती है....रिक्त स्थान की पूर्ति.....Fill in the BLANKS....बिल्कुल गणित के सवाल के माफिक....अज्ञात या अनुपलब्धता को X (एक्स) मान कर.....माना कि....मान कर, सिद्ध करना....यही है गणित की गणना....या गणना की विधि....या विधि का विधान...सहज विद्या....सहज सिद्धि....गणितज्ञ के लिए मात्र गणना ही चमत्कार....कोई फर्क नहीं...अबकी बार किसकी सरकार ?....बस सदैव रहे आनन्द...जय गजानन्द...बारम्बार....हर बार...आबाद रहे घर-बार...जँहा मात्र स्वयं की सरकार....यँहा प्रत्येक सात्विक-कर्म स्वीकार....न जीत का लालच, न हार का डर....सुविधाओं के फेर में हम इस दुनिया-दारी में गुम हो जाते है....तब गुम-शुदा की तलाश या गुमनाम.....तब कोई तो हो जो FIR अर्थात्....’रपट दर्ज करे’.....और गाँव की पुलिया पर लिखा है कि पानी ज्यादा होने पर “रपट पार करना मना है”....सुना है---‘खड्ग सिंह के खड़कने से खड्कती है खिड़कियाँ....और खिड़कियों के खड़कने से खडकता है खडग सिंह’...मजा तो बहुत आता है परन्तु समझने का प्रयास अवश्य करना होगा....समुद्र की गहराई तो गोताखोर ही मापने की हिम्मत कर सकता है....अनादि से अनन्त...सहज स्व-सत्संग....सुनिश्चिंत आनन्द...निश्चिन्त प्रारम्भ ही सर्वोपरि सुविधा ...विनायक शुभारम्भ....ॐ गं गणपतये नम:....”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)…

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