Sunday 1 November 2015

SAYS THE DIAMAOND........FOREVER...... लीजिये....भविष्य को परिभाषित करना मात्र शब्दों के बस की बात....भुत, वर्तमान सबने देखा....परन्तु भविष्य को शब्दों ने बनाया....हरगिज नहीं कि शब्दों की जवानी ख़त्म तो कहानी ख़त्म....शब्दों में मृग-मरीचिका लागु नहीं.....खरीदना संभव नहीँ.....चित्र को देख सकते है....छु सकते है...मगर भीतर जाना है तो....खरी बात....’गुरु बिन ज्ञान अधुरा”....और एक बार यदि चित्र से मोह हुआ कि “चित्र ही मित्र’....सहज शब्दों की चादर ओढ़े....और सही मित्र् वही जो अपनी चादर मित्र को दे...सर्दी से सही सुरक्षा....अभी सभी मित्र यदि एक दुसरे से रूबरू हो रहे है तो सम्बन्ध स्थापितकरने में मात्र चित्र तथा शब्द ही जिम्मेवार या आधार....शब्द नहीं तो सब-कुछ निराधार....तब तो सहज सम्मुख है मझधार....अब तो शब्द ही करे बेडापार....शब्दों का आदान-प्रदान नहीं कोई व्यापार....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....यही है आदेश....अतिशीघ्र दूर हो स्वयं के दोष....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill..... To Fit With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS..





‘हीरा है सदा के लिए’...कहता है सदा के लिए.....भीड़ में खड़ा होना मकसद नही है मेरा..बल्कि भीड़ जिसके लिए खड़ी है “वो” बनना है मुझे….और “वो’ है.....जो दुकानों में नहीं....चित्र ही आधार जिसके.....मात्र सत्संग....शब्द ही सन्त....शब्द ही अनंत....यह शाश्वत सत्य है....दावा है....चाहे कोई आजमा ले....शर्त लगा लें....सन्त का नहीं है कोई अन्त....सन्त सदा ही अनन्त...सन्त कुछ नहीं...मात्र शब्द-स्वरूप...शेक्सपियर ज़िंदा रहेगा....मगर सिकंदर की खोज करना पड़ सकता है.....नहीं विश्वास....तो चित्र देख

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