जय हो.....Please Wait while you are redirected…..WAIT A WHILE…..कब तक
?.....मालुम नहीं.....तो क्या शायद इसीलिए इन्तजार का फल मीठा होता है
???...मालवा में जिस घर पर, जिस दिन “केड़ी” (गाय-माता की बछड़ी) का जन्म
होता है....उस दिन मन से उत्सव मना कर संस्कारों में सात्विक-परिवर्तन या
संशोधन कर लिया जाता है....सहज स्त्रीत्व की प्रधानता....सहज
स्वीकृति.....मातृत्व-प्रधान....पवित्र-सात्विकता....चरम या
शीर्ष....परन्तु सुनिश्चिन्त उत्कृष्ट.....जय हो....सादर
नमन...जीवन-प्रबंधन के लिए तो सहज धर्म उपस्थित है..धर्म अर्थात
आनन्द....और परम-आनन्द अर्थात स्वयं का मानस-धर्म...मन से
स्वीकार....यत्र-तत्र-सर्वत्र.....सदैव स्थायी....डगमगाने की लेश-मात्र भी
सम्भावना नहीं....द्रव्य, ठोस या वायु....आकर-प्रकार से मुक्त....शायद
इसीलिए पूर्ण स्थायित्व....चयन की स्वतंत्रता.....मात्र संस्कारों की
बाध्यता मुक्त अनिवार्यता....स्थायित्व की और सहज अग्रसर कहलाये मात्र सहज
‘जीवन-प्रबंधन’.....और यह बड़ी सुविधा कि यह सहज-ज्ञान प्रसारित करने के
लिए....सहज सदगुरुदेव सदैव उपस्थित.....”सहज मौलिक ज्ञान, यही धर्म की
पहचान”.....सहज ही “उत्कृष्ट”.....जय हो...”जीवन-प्रबंधन”....इस पांडाल की
आभा तो....’UNLIMITED’…..सर्वत्र....चिंता नहीं...चिंता दूर करने के लिए
चिंतन जारी है....अतः चर्चा हेतु चुनाव मात्र ‘समय-प्रबंधन’ का.....घडी
सबके हाथ में....सबके सामने....सबके आस-पास....ENTIRE SYSTEM MOVES ON
‘TIME-MANAGEMENT”…..किसी भी सिक्के का कोई एक पहलु....मुद्रा कोई भी
हो...काल अंकित होना अनिवार्य.....और समय-प्रबंधन....या तो पहाड़, या
फिर....’खोदा पहाड़, निकली चुहिया’.....खोज करने पर हरगिज न
मिले...निश्चिन्त समय में हल-चल की फुर्ती....सहज
समय-प्रबंधन....विनायक-प्रबंधन....”मूल-मन्त्र”....”बीज-मन्त्र”.....”मुख्य-सूत्र”....सौ
तालो की मात्र एक चाबी को मास्टर-चाबी कहते है...”MASTER KEY”…..सिर्फ और
सिर्फ “नियमितता”....शास्त्र मात्र एक ही संकेत देते
है....बारम्बार....स्वागतम....भले पधारो...हार्दिक अभिनन्दन.....”BE
PUNCTUAL”….समय-निष्ठ....पाबन्द.....नियमित.....”स्वयं का
अध्ययन”.....अनिवार्य मन्त्र या सूत्र....सहज “शास्त्री” अलंकार को अलंकृत
होने हेतु स्वीकृति प्रदान करे....कुछ कार्य, कुछ समय के लिए.....और नियमित
तो सहज अनिवार्य ही स्वीकार....अर्थात मुख्य
आधार....”समय-प्रबंधन”.....सहज परीक्षा प्रत्येक की...साक्षात
स्वंभू....पूर्व निर्धारित समय से कार्य करना प्रत्येक कार्य को सात्विकता
की परिधि प्रदान करता है....सुव्यवस्थित होने का संकेत....नियत समय पर
मित्रों से नियमित चर्चा.....'विनायक चर्चा' के माध्यम से यही निवेदन है कि
सहज सुंदरता कायम रहे....पूर्णांक में से प्राप्तांक....मात्र परिश्रम का
प्रदर्शन.....इस संकल्प के साथ कि प्रत्येक शब्द मात्र सकारात्मक सिद्ध
हो...इस आशा के साथ कि समस्त मित्रों के समस्त कार्य सही-समय पर होते
रहे....समय-अनुसार मन जाग्रत रहे....मन की जागृति......हमेशा-हमेशा के
लिए...मात्र आनंद के लिए...यत्र-तत्र-सर्वत्र....Please Wait while you are
redirected…..क्या शायद इसीलिए इन्तजार का फल मीठा होता है ???...मालवा
में जिस घर पर जिस दिन “केड़ी” (गाय माता की बछड़ी) का जन्म होता है....उस
दिन मन से उत्सव मना कर संस्कारों में सात्विक परिवर्तन या संशोधन कर लिया
जाता है....और ‘सुन्दर-काण्ड” द्वारा “सिद्ध-आत्माओं” को तृप्त कर दिया
जाता है....’विनायक-तृप्ति’....मृग-मरीचिका संभव नहीं....जय हो....सादर
नमन....”विनायक-समाधान” @ 91654-18344...(इंदौर/उज्जैन/देवास)....JUST
SEARCH IN “SEARCH-ENGINE”….REGARDS…
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