Monday 9 November 2015

सिक्का एक, पहलु दो....अलट-पलट....उलट-पलट कदापि नहीं...और उलट-फेर तो हरगिज नहीं...जय हो...अगर किसी व्यक्ति को एक साथ लगभग पंद्रह हजार लोगो को संबोधित करने का मौका मिलता है तो वह व्यक्ति निश्चिन्त रूप से अत्यन्त विद्वान तथा आभावान होगा....बेशक....निश्चिन्त रूप से पांडाल व्यवस्था सुनिश्चिंत होगी....सहज प्रवचन....सम्पूर्ण दिन का कार्यक्रम...कई दिनों की तैयारी....अनेक निमंत्रण...अनेक लोगो का एक साथ आगमन या संगम या समागम....और इसके विपरीत यदि 'एक साथ सम्बोधन' में परिवर्तन या संशोधन मात्र एक प्रयोग के रुप मे किया जाय.....मात्र रूबरू, एक से एक की बातचीत....प्रायोगिक आमने-सामने हेतु....मात्र कुछ समय...एक से एक....मात्र उन मित्रो के लिए जो भीड़ से अलग हो कर बात करना चाहते है....किसी समकक्ष से...चमत्कार से मुक्त....निसंकोच सहज चर्चा....कुछ समय का कार्यक्रम....पूर्व-समय के अतिरिक्त कोई तैय्यारी नहीं....किसी का भी विद्वान या आभावान होना, अनिवार्य शर्त नहीं....बस गुरु-निष्ठा ही प्रधान आस्था....काम की बात ही सहज उद्देश्य....आमने-सामने...और भीड़ न हो तो आपसी-चर्चा....निश्चिन्त रूप से प्रश्नोत्तर में संकोच की हद से ज्यादा कमि....इस अभिनव प्रयोग को सदाबहार प्रयोग में बदलने के लिये....नियमित चर्चा आवश्यक....नियमित प्रस्तुति-करण....साधारण कछुआ-दौड़...खरगोश की चर्चा नहीं...प्रार्थना की गति सिर्फ करने वाला ही महसूस कर सकता है....एक या अनेक...यह अनुभव सबका अधिकार....वर्ष 2007 से निरंतर मित्रो के साथ अनवरत चर्चारत....सहज प्रश्नों के सहज उत्तर का सहज प्रयास....सहज निमंत्रण....मात्र सहज को स्पर्श करने के लिए...सभी मित्रो को परम साधुवाद....अदभुत तथा अनोखे सहयोग के लिए....दुआ-सलाम, अल्ला-मालिक का कलाम....मित्रो की संख्या में बड़ते रहे नाम...और राम से बड़ा राम का नाम.....पुनः एक बार....राम की चिड़िया, राम का खेत....नियत स्थान, नियत समय....नियमित सुकून....या कह लीजिये...'नियत ही बरकत'....सभी पत्रकार मित्रो को सादर नमन...मात्र आपके सहयोग एवं 'गुरु-कृपा' से वर्ष 2007 से वर्तमान से अब तक निरंतर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लगभग 15000 से भी ज्यादा मित्रो से आमने-सामने चर्चा का पूण्य-कर्म का सौभाग्य प्राप्त हुआ है...'दिल से धन्यवाद'...मात्र सकारात्मक ऊर्जा का सहज प्रसार करने हेतु...निम्न समाचार चित्र से आमने-सामने की मुलाकात जिवंत हो सकती है...प्रत्येक समाचार चित्र कहता है..."यह अनुभव का समाचार है" अर्थात "आँखों देखा हाल" अर्थात "सांच को आंच नहीं".....और यदि समाचार का चित्र सत्य है तो प्रत्येक चित्र पूर्ण सत्य है...प्रत्येक चित्र हर एक मित्र के लिए....हर पल, प्रति-पल सकारात्मक...निरंतर सात्विकता की ओर सहज अग्रसर....सादर नमन...हार्दिक स्वागत...."विनायक समाधान" @ 91654-18344...(इंदौर / उज्जैन / देवास)....




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