Thursday 5 November 2015

IS THIS MAY BE " TOP-SECRET".......@@स्वर्ग-नर्क की कोई बहस या तकरार नहीं...पाप-पूण्य का कोई विचार नहीं...पर है...शत-प्रतिशत..."TOP-SECRET"...
"नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः | न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:" || आत्मा सदैव अविनाशी... शास्त्र से काटना सम्भव नहीं...आग से पूर्ण सुरक्षित....जल का भय कदापि नहीं....और वायु का विकार तो हरगिज नहीं...तब तो आत्मा ही अजर-अमर हो कर....सदैव सर्व-शक्तिमान....जो पंच-तत्व पर भी पूर्ण विजय का अधिकार कायम रखे....तब ऐसी अविनाशी-आत्मा का स्वामी...कौन ?, कब ? और कैसे ?....कोई अबूझ पहेली नहीं...सात्विक प्रश्न का उत्तर भी सहज रूप से सात्विक ही होना चाहिए...साधारण सार्वजानिक उत्तर...परन्तु यह अनेक मित्रों के लिये...'TOP-SECRET' भी हो सकता है...और यह मान कर चलिए कि मित्रता में कुछ भी रहस्य के दायरे में रखना लगभग असम्भव सा प्रतीत होता है...'सुर्खियाँ क्या फैलाना, दीवारों के कान होते है' तथा चेहरे की रंगत से फ़लसफ़ा जाहिर होने से कोई रोक नहीं सकता....जवान की उम्र नहीं होती सिर्फ चाल से ही उम्र झलक जाती है...इन्ही तथ्यों पर मात्र शक्तिशाली आत्मा का स्वामी बनने का 'रहस्य'...जाहिर प्रश्न का जायज उत्तर...मात्र मित्रों के लिये...मित्रों के समक्ष...सिर्फ अपनों से अपनी बात....मात्र निवेदन या सात्विक शर्त...वह प्रत्येक मित्र स्वयं स्वामी....जो अपना जीवन सम्पूर्ण दूरदर्शिता से जीता हो...जिसका कन्ठ विनम्रता और करुणा से भरा हो...जो जीवन में पूर्णता को अनुभव करने का प्रयास करे...जिसका एक कदम अनेक की प्रेरणा बन जाये....जिसके मार्गदर्शन में मित्रों को उन्नति का अहसास हो...जिसकी मधुर यादे भी सांत्वना के रूप में प्रोत्साहित करे...कुल मिला कर सीधी-सच्ची बात...मन की बात...'विनायक लय-ताल'....काली कम्बल पर कोई रंग चड़े न चड़े....पर एक नगमा हर पहलु से उम्दा..."मेरा रँग दे बसंती चोला"....और मानव मात्र एक 'रंगरेज'...सिर्फ स्वयं के 'श्वेत-वस्त्र' में रंग भरने के लिये...साथ में स्वयं के...इंद्रधनुषी रंग...रंगरेज के रंग...हलके या तेज...सहज फूलों की सेज...खुद की चादर...खुद का रंग...फिर रंगरेज को फुर्सत कहाँ....फिर वही बात...वाही-वाही नहीं...."राम की चिड़िया-राम का खेत"...और रंगरेज जो रंगों का विशेषज्ञ माना जाता है....चादर को खेतो में पसीने से रंगने लगता है....भला पसीने का कोई रंग कैसे सम्भव है ???....पर विशेषज्ञ तो सिरफिरा या अहमक या पगला...मात्र संतुष्टि से मित्रता...और अव्वल दर्जे का कंजूस....रंगो को खरीदने के लिये बाजार में जाना बंद....खुद को संतुष्टि का मित्र बताता परन्तु खुद असंतुष्ट....बाजारों से....सहज कारण..."TOP-SECRET"....भला बाजारों में कहाँ ???....और किसी वस्तु को ढूंढने में विशेषज्ञ समय बर्बाद नहीं करता...कदापि नहीं... महिमा को याद रखने के लिए पर्याप्त....”ख्वाजा मेरे ख्वाजा”.....दिल में समा जा.....जय हो....सादर नमन.....शत-प्रतिशत सहज...संपर्क-सूत्र, विजिटिंग-कार्ड, बैनर, होर्डिंग, समाचार....सहज निरन्तर यात्रा...विनायक-यात्रा…..जय हो...सादर नमन....हार्दिक स्वागतम...मात्र अनुभव करने के लिए....कब ? क्यों ? कैसे ?....आसमान में पक्षी तथा वायुयान दोनों की दक्षता होती है, मगर समुद्र की गहराई तो गोताखोर ही मापने की हिम्मत कर सकता है....अनादि से अनन्त...सहज स्व-सत्संग....सुनिश्चिंत आनन्द...निश्चिन्त प्रारम्भ...विनायक शुभारम्भ....ॐ गं गणपतये नम:....”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)....








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