Wednesday 11 November 2015

जय हो...गौर फरमाईयेगा....सादर नमन....“Objects in the mirror are closer than they appear”…..सलाह या चेतावनी....हर वाहन के दर्पण पर लिखा रहता है....सामान्य बात.....और उससे भी सामान्य बात......प्रत्येक शास्त्र में लिखा रहता है...”Problems are smaller then they appear”….निष्कर्ष या परिणाम....so, we have to face them….FACE to FACE…..और जब हम समस्याओं का सामना करते है तब....हम स्वाभाविक रूप से किसी भी पहलु पर ज्यादा चिंतन करते है...With help of our own ‘THINKING MACHINE’……स्वयं से प्रश्न ???....असमंजस या उहापोह....और शास्त्र कहते है कि संकट में स्वाध्याय वास्तविक प्रार्थना सिद्ध होता है....यही है शास्त्रों का स्पष्टीकरण......”Nobody is useless…..we are just used less…Either use ourselves Or find someone who knows to use US”…..और स्वयं का श्रेष्ठ उपयोग है स्वाध्याय....Total use of machine…..सात्विक-कर्म....स्वयं के वायुमंडल में सात्विकता का समावेश...विनायक-प्रारम्भ....स्वयं को विनायक-आदेश.....ताकि स्वयं का होता रहे ‘विनायक-उपयोग’....गौर फरमाईयेगा....मन से मन की बात...We have to train our ‘MIND’, to mind our ‘TRAIN’…..ताकि गाड़ी चलती रहे सुगम....आखिर चलती का नाम गाडी....और जीवन चलने का नाम....जैसे राम से बड़ा राम का नाम....जैसे राम की चिड़िया, राम का खेत....न जीत का लालच, न हार का डर....सहज-आसान विषय....जिसे समझने के लिए हम भ्रमण करते है.....यत्र-तत्र-सर्वत्र...आमने-सामने...विषय समझ में आया तो ठीक वर्ना ट्यूटर बदलने की सहज सुविधा...और यह भी हो सकता कि स्वाध्याय या स्वयं अध्ययन करे....(SELF-STUDY)…..SELF-TUITION…..फुर्सत के क्षणों में शब्दों का आदान-प्रदान अर्थात चर्चा का योग, समय अनुसार.....उच्च, समकक्ष या मध्यम....शुद्ध रूप से....स्वयं का निर्णय हो सकता है...आमने-सामने...face to face...शब्दों का सम्मान...पूर्ण स्वतंत्रता के साथ....शब्दों को व्यक्त करने का अधिकार अवसर मिलने पर ही सार्थक होता है....समस्त अवसर, प्रश्नों पर आधारित हो सकते है  और प्रश्न करने का अवसर होना चाहिए......सादर नमन्...जय हो..."विनायक-चर्चा" हेतु हार्दिक स्वागत....विनायक समाधान @ 91654-18344....(INDORE/UJJAIN/DEWAS)







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