जय हो....आओ इसका पता लगाए....इस ‘विनायक-साहित्य’ की उत्पत्ति का
कारण....शब्दों के माध्यम से निमंत्रण.....”POST’ by
‘POSTMAN’…स्व-परिश्रम...स्वयं लिख कर स्वयं वितरित करे....सहज नियमित
परिश्रम....एक डाल दो पंछी बैठे....कौन गुरु ? कौन चेला
?....आमने-सामने...मित्रो से नियमित चर्चा का सात्विक
माध्यम.....आमने-सामने....समय पर....नियमित.....One Man Army….गृहणी को
किसी सहायक की आवश्यकता नहीं होती है....समस्त सूत्र स्वयं की धरोहर....यह
हो सकता है कि पद-प्रतिष्ठा, यश, सामर्थ्य में वृद्धि
होती है तो क्या सब-कुछ किसी व्यक्ति-विशेष की उपलब्धि है बल्कि यह कि
“मेरा आपकी दुआ से सब काम हो रहा है”....यह भी एक आनन्द हो सकता है कि
स्वयं से पूछ सके...”पागल था मै पहले....या अब हो गया हूँ” ???....मस्ती की
पाठ-शाला में जाने का सभी को सहज अधिकार....मात्र नियम जानने तथा मानने के
लिए....जहाँ नियम संस्कारों का हिस्सा हो सकते है....एकाग्रता भला बाध्यता
के दायरे में कैसे सम्भव ?....अध्ययन तो बाद की बात
है....ज्वलंत-प्रश्न...यदि अध्ययन को व्यर्थ या निरर्थक माने तो सार्थक
क्या हो सकता है ?.....तब मन की संतुष्टि के लिए अनेक पहलु सार्थकता हेतु
गिनवाये जा सकते है....परन्तु जिसे सार्थक समझा जाता है...उन पहलुओं का
अध्ययन आवश्यक है अथवा नहीं ???....मित्रों से मिलना सार्थक होता है तो
मित्रों का अध्ययन निरर्थक कैसे हो सकता है ?....पत्र सार्थक हो तो शब्द
निरर्थक कैसे हो सकते है ?...यदि व्यक्तित्व सार्थक है तो फिर व्यक्ति
निरर्थक क्यों ?.....और यह समस्त प्रश्न यदि स्वयं से हो तो पुस्तको के
अध्ययन से साथ-साथ....स्वयं के अन्दर खोजना संभव है, हाथो-हाथ.....स्वयं से
प्रश्न का उत्तर तो स्वयं को खोजना पड़ सकता है......साक्षात
स्वंभू.......प्रत्येक परीक्षा में सिर्फ निर्धारित प्रश्नो के लिए समय तथा
अंक प्रत्येक के लिए समान तथा निर्धारित होते है...हम अनेक प्रश्न का एक
उत्तर या एक प्रश्न के अनेक उत्तर अवश्य जान सकते है...और यह बात मात्र
अध्ययन की बात हो सकती है...लगातार उत्तर देने वाला योग्यता की श्रेणी में
अवश्य आ सकता है...और समय अनुसार प्रश्न और उत्तर में परिवर्तन अवश्य हो
सकता है..इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारा स्वयं का अनुभव होता है...'विनायक
चर्चा' के माध्यम से यही निवेदन है कि सहज सुंदरता कायम रहे...हार्दिक
स्वागत...विनायक समाधान @ 91654-18344...(इंदौर/उज्जैन/देवास).
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