Monday 17 April 2017

यह सत्य है कि कार्य की आसान शुरुआत के लिए समस्त कथन खुद के अतिरिक्त किसी और पर लागू नही होते है....और जेनेरेशन-गेप या परिवार में झिझक मिटाना हो तो संयुक्त-रूप सरल रूप से सुबह का अखबार साथ में पढ़ना शुरू कर सकते है....अच्छे परिवारों में यह होता रहा है...एक दूसरे के साथ चाय पीने का मजा....एक दूसरे की निकट या दूर-दृष्टि को जाँचने या भाँपने का अवसर...एक ही अलार्म-घडी का सबके लिए आदेश मानने का मौका...सबकी नींद साथ में खुल जाए तो सर्वोत्तम-जागरण.....एक लौठा पानी पी कर सबको 'जय श्री कृष्ण' कहने का आनंद बड़ा मजेदार हो सकता है....सरल आदान-प्रदान,आसान क्रमचय-संचय....मिल-बाँट कर पढ़ने का सुकून...आखिर अखबार के अनेक पन्ने....बस थोड़ा सा धैर्य और छिना-छपटी से मुक्ति....समसामयिक विषयो पर एक दूसरे के विचार संक्षिप्त में जानने का मजा...इस अभ्यास या उपाय से एक नहीं अनेक गुण उत्पन्न हो सकते है......बहुत छोटी मगर सच्ची बात,.....
आपका स्वभाव ही आपका भविष्य है !!..
बिल्कुल #भीड़# से अलग...#भेड़# वाली चाल नहीं.....”जीवन कोरे कागज़ के स्थान पर भरा-पूरा अखबार”.....और अखबार पढने के लिए आमने-सामने की कला में पारंगत होना स्वयं का दायित्व.....शत-प्रतिशत......हार्दिक स्वागतम.....समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...शत-प्रतिशत.....सम्पूर्ण सिद्धि का एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि केवलम्'......”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#.

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