Monday, 17 April 2017

खामोश....अनर्गल शब्दों के विराम की घोषणा....कोई घोषणापत्र नहीं....RULES OF CONDUCT.....झगडे और युद्ध में क्या अन्तर है ?.....सबको पता है......अन्तर्राष्ट्रीय.....झगड़े का अनुभव सबको.....और यह अनुभव ना हो तो मन-मुटाव का अनुभव तो सबको.....और मन-मुटाव को दूर करने का एक-मात्र समाधान....ख़ुशी उर्फ़ मुस्कान.....दूसरा कोई विकल्प नहीं.....और रही बात युद्ध की तो......युद्ध का अनुभव भले ही ना सही....किन्तु अभ्यास का अनुभव शत-प्रतिशत अनिवार्य.....युद्ध का एकमात्र विकल्प है सिर्फ संधि....किन्तु इस समाधान का कोई विकल्प नहीं......याद रखे विजय प्राप्त करने के लिये “DO or DIE” भी जायज माना जाता रहा है.....यही कारण है इतिहासकार के लिये शहीद ही भगवान माना जाता है.....युद्ध में प्रारंभ के लिये बिगुल बजता है तथा समयानुसार युद्ध विराम की घोषणा होती है.....तत्पश्चात घोषणापत्र....गर्व के साथ.....परन्तु झगड़ा तो मामूली बात पर भी संभव है.....और ऐसे भी लोग है जिन्हें झगड़ा करने का इतना शौक होता है कि वे अपने साथ दो-तिन लोग हमेशा साथ रखते है.....और साथ वाले लोग.....ना सामने वाले को समझाते है, ना ही बीच-बचाव का कार्य करते है....पूरी ताकत आदेश के अधीन.....मगर कब तक ?.....हार्दिक स्वागत....यथा संभव आपके अनुरूप करने की कोशिश तथा होने की प्रार्थना…विनायक समाधान @ 91654-18344…( INDORE / UJJAIN / DEWAS )…

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