बिल्कुल #भीड़# में शामिल...#भेड़#
वाली चाल....वास्तविक खपत पर कोई विचार नहीं करना चाहता....जवाबदारी से
जिम्मेदारी का अनुभव सौभाग्य कहला सकता है....धर्म के क्षेत्र में बहुत
आधुनिक नहीं या बहुत अलग से नहीं या बहुत चमत्कृत नहीं अपितु दिलचस्प सरल
सत्य सामने आना आवश्यक माना जा सकता है....'सरल' शब्द कठिनाईयों से पहले या
बाद में स्वतः निर्मित होते आया है....अनुभव किसी भी पहलु को हमेशा आसान
बनाते आया है....और यह यकीनन किसी चमत्कार से कम नहीं है....अनुभव को स्वयं
की बैंक से ब्याज के लिये बाहर लाना पड़ता
है जबकि रुपये को ब्याज के लिये किसी भी बैक में जमा कर सकते है....और
अनुभव का ब्याज स्वयं की बैंक से सीधे किसी की व्यक्तिगत बैंक में ट्रांसफर
करना आसान और बल्कि स्वतः....बोले तो fully AUTOMATIC...direct inject
into the MIND.....आराम से लिखी गई चर्चा को आराम से ही समझना आसान हो सकता
है.......धर्म जीवन के हर मोड़ पर हाजिर है....प्रत्येक सम्प्रदाय में वर्ष
में उचित अवसरों पर उचित उत्सवो का प्रावधान....बहुजनहिताय....आज भी गावों
में किसी भी मंदिर पर शाम को प्रबुद्ध वर्ग को एक साथ देखने का अवसर हो
सकता है.....यही उपाय हो सकता है अमन-चैन को वितरित तथा एकत्रित करने
का.....चर्चा संगठन में...संपर्क, संवाद और पारदर्शिता....प्रत्येक स्तर पर
संभव है.....संगठन का महत्व....यत्र, तत्र, सर्वत्र.....बिल्कुल #भीड़# से
अलग...#भेड़# वाली चाल नहीं..... आमने-सामने की कला में पारंगत होना स्वयं
का दायित्व.....शत-प्रतिशत.....एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि
केवलम्'......”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#....
No comments:
Post a Comment