"रुकावटे - परेशानियां "
ज्यादा देर नहीं रूकती
वे तो बस हमारे
" जीवनगाथा की किताब "
पर अपने
" हस्ताक्षर "
कर भाग जाती हैं…..मुश्किल को आसान करने के लिए....एक ही सामान्य आसान उपाय....बारम्बार...‘करत-करत अभ्यास के जङमति होत “सुजान”.....रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान’......और जल-घर्षण से कंकर भी ‘शंकर’ बन जावे.....’परम-सुजान’....”महादेव”.....सदस्य, संपर्क तथा संवाद...पारदर्शिता, नियंत्रण और गठबन्धन...एकाग्रता, एकान्त और प्रार्थना....."सत्यम-शिवम्-सुंदरम"...सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड शिव को सत्य तथा सुन्दर स्वीकार करता है....शिव 'नटराज' है....नृत्य की परिधि में आदि है...मध्य है....अंत है...सम्पूर्ण अभिव्यक्ति....कैवल्य तथा निर्वाण की महासमाधि...ज्ञान की गंगा में शिव, शिवत्व तथा शिवत्व में समर्पण का समावेश हो जाये तो "सत्यम-शिवम्-सुंदरम" की अनुभूति सुनिश्चिंत है...अर्थात शिव-कृपा से प्राप्त निर्मल मति से एहलौकिक एवं पारलौकिक फल की कामनाओं का त्याग करके स्वयं में संतुष्टि का आभास संभव है...
ज्यादा देर नहीं रूकती
वे तो बस हमारे
" जीवनगाथा की किताब "
पर अपने
" हस्ताक्षर "
कर भाग जाती हैं…..मुश्किल को आसान करने के लिए....एक ही सामान्य आसान उपाय....बारम्बार...‘करत-करत अभ्यास के जङमति होत “सुजान”.....रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान’......और जल-घर्षण से कंकर भी ‘शंकर’ बन जावे.....’परम-सुजान’....”महादेव”.....सदस्य, संपर्क तथा संवाद...पारदर्शिता, नियंत्रण और गठबन्धन...एकाग्रता, एकान्त और प्रार्थना....."सत्यम-शिवम्-सुंदरम"...सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड शिव को सत्य तथा सुन्दर स्वीकार करता है....शिव 'नटराज' है....नृत्य की परिधि में आदि है...मध्य है....अंत है...सम्पूर्ण अभिव्यक्ति....कैवल्य तथा निर्वाण की महासमाधि...ज्ञान की गंगा में शिव, शिवत्व तथा शिवत्व में समर्पण का समावेश हो जाये तो "सत्यम-शिवम्-सुंदरम" की अनुभूति सुनिश्चिंत है...अर्थात शिव-कृपा से प्राप्त निर्मल मति से एहलौकिक एवं पारलौकिक फल की कामनाओं का त्याग करके स्वयं में संतुष्टि का आभास संभव है...
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