Monday 17 April 2017

हालात बर्दाश्त से बाहर हो जाय तो इंतहाई कदम हर कोई उठा सकता है...लेकिन जज्बाती हालत में उठाया हुआ कोई भी कदम नुकसानदेह साबित हो सकता है....'राम-राज्य' का सीधा-सीधा अर्थ है "सत्यम-शिवम्-सुन्दरम".... Place-Peace-Prosperity....तन-मन-धन....सर्वाधिक सरल शब्द....बगैर व्याकरण तथा मात्रा के, मगर शुद्ध रूप से गिनती-पहाड़ो युक्त....जिनको गिनते-रटते-जपते....जिंदगी गुजर जाती है....सही-सही समझ में आ जाय तो जिंदगी सुधर जाये...कानूनी-पचड़ों से बेहतर 'कानून-कायदे' होते है....सनातन-शब्दावली की श्रृंखला में 'इजाजतनामा बराए अकदे-सानी' (दूसरी शादी) कैसे संभव है ?...और बल्कि सात जन्म तक साथ-साथ रहने का संकल्प बारम्बार दोहराया जाता है....बिना किसी जब्र के रजामंदी और मर्जी...मनमर्जी की बात नही...पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है, जलते वजूद को कभी भी बचाया जा सकता है...लिहाज को कमजोरी समझना भयंकर भूल हो सकती है...तहरीर लिखित में, ताकि सनद रहे और ब-वक्त जरुरत काम आए....दुनिया में ऐशो-आराम के इतने साधन है कि एक पल सरल आदमी को लगता है कि वह सचमुच में उन्नति और आनंद से परे है किंतु आपाधापी के खेल में सुकून सिर्फ सरल आदमी के भाग्य में होता है...बस खुद के हालात, खुद के इल्म में आना चाहिए....कोई हर तरफ से मसलों से घिरा होता है तो यह ईच्छा होती है कि किसी तरह निजात पा लिया जाये....इरादों को अमली जामा पहनाने के लिए बेशुमार मौके मयस्सर होते है......हार्दिक स्वागत....यथा संभव आपके अनुरूप करने की कोशिश तथा होने की प्रार्थना…विनायक समाधान @ 91654-18344…( INDORE / UJJAIN / DEWAS )…

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