Monday 17 April 2017

कोई पाबन्दी नहीं....धर्म, संप्रदाय, लिंग....कोई मनभेद या मतभेद नही....आमने-सामने....गवाही में ज्ञानेन्द्रियाँ और साक्ष्य या साक्षी के रूप में पंचतत्व...अनेक लोगो से मिलने के पश्चात यह निष्कर्ष कि बगैर किसी बंदिश के क्या उपाय किये जाये कि कम से कम आफतों से रूबरू होना पड़े ?...व्यायाम तथा योग का सबसे बड़ा फायदा यह कि दिमाग में एक लहर या तरंग चालू हो जाती है कि शरीर सक्रीय हो रहा है....शायद यह साइक्लोजी का सबसे सरल उपाय है....और समस्त सात्विक उपाय इसी श्रेणी के उदाहरण सिद्ध होते है....आखिर हर शख्स फौरी तौर पर प्रपंचो से फ़ौरन फ़ारिग होना चाहता है....तब सरल-सन्देश के तहत निम्न उपाय कहीं-भी, कभी-भी प्रयोग में लाये जा सकते है....
1- हर एक काम इमानदारी से करो !
2- जो भी तुम्हारा भला करे, उसका कहना मानो !
3- अधिक योग्य बने बिना, बड़ों से बराबरी का दावा मत करो !
4- कभी किसी को दिल दुखाने वाली बात मत कहो !
5- जहाँ भी ज्ञान की दो बातें मिलें, उसे ध्यान से सुनो !
याद आया ना.......कक्षा चौथी का किस्सा, जिंदगी भर का हिस्सा....हरपाल सिंह एवं बूढ़े बाबा की कहानी....देखने-सुनने में ये पांचों बाते बड़ी-भारी लग सकती है..शुद्ध रूप से स्कुल की बातें....बस इसी आधार पर अनुपालन और आत्मसात करने में कठिनाई की जगह संकोच महसूस हो सकता है...मगर यह सत्य है कि कार्य की आसान शुरुआत के लिए उपरोक्त समस्त कथन खुद के अतिरिक्त किसी और पर लागू नही होते है....और जेनेरेशन-गेप या परिवार में झिझक मिटाना हो तो संयुक्त-रूप सरल रूप से सुबह का अखबार साथ में पढ़ना शुरू कर सकते है....अच्छे परिवारों में यह होता रहा है...एक दूसरे के साथ चाय पीने का मजा....एक दूसरे की निकट या दूर-दृष्टि को जाँचने या भाँपने का अवसर...एक ही अलार्म-घडी का सबके लिए आदेश मानने का मौका...सबकी नींद साथ में खुल जाए तो सर्वोत्तम-जागरण.....एक लौठा पानी पी कर सबको 'जय श्री कृष्ण' कहने का आनंद बड़ा मजेदार हो सकता है....सरल आदान-प्रदान,आसान क्रमचय-संचय....मिल-बाँट कर पढ़ने का सुकून...आखिर अखबार के अनेक पन्ने....बस थोड़ा सा धैर्य और छिना-छपटी से मुक्ति....समसामयिक विषयो पर एक दूसरे के विचार संक्षिप्त में जानने का मजा...इस अभ्यास या उपाय से एक नहीं अनेक गुण उत्पन्न हो सकते है....ठीक चौथी-कक्षा की पांच बातों की तरह....बहुत छोटी मगर सच्ची बात,
आपका स्वभाव ही आपका भविष्य है !!..
बिल्कुल #भीड़# से अलग...#भेड़# वाली चाल नहीं..... आमने-सामने की कला में पारंगत होना स्वयं का दायित्व.....शत-प्रतिशत.....एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि केवलम्'......”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#..




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