"भज-गोविन्दम" का अविष्कार आदमी ने किया है....तब यह सिद्ध होता है कि
"आवश्यकता अविष्कार की जननी है"....रूचि, सुख, रस, प्रीति का विस्तार हर
कोई करना चाहता है...उत्साह-अनुत्साह, आशा-निराशा, सिद्धि-असिद्धि,
अनुकूल-विपरीत परिणाम का सामना करने की शक्ति हर एक की आवश्यकता हो सकती
है...विभिन्न-विषय...जितने लोग, उतनी बाते... बहस का कोई अंत नही.... लोग
घंटो का काम मिनटो मे करने के लिये बहुत सारा सामान जुटा लेते है...और बस
यहीं से बोरियत शुरू हो जाती है, इस असमंजस के साथ कि कब, कौन सा काम
किया जाये ?...हज़ार लोग, हजार बाते.... सवाल एक, जवाब तुम....मात्र
वायुमंडल के श्रृंगार हेतु सहज एवम स्वैच्छिक उपाय..... मात्र सहज श्रवण,
कीर्तन, चिन्तन, मनन.... सहज हार्दिक स्वागत.... आप सभी सहज आमंत्रित है...
एक ही सहज प्रार्थना..."सर्वे भवन्तु सुखिनः"++एक ही सहज आधार "गुरू कृपा
हिं केवलमं"..... पूर्व निर्धारित समय हमेशा की तरह सहज सुविधा सिध्द होती
रहेगी.... विनायक समाधान @ 91654-18344....इंदौर/उज्जैन /देवास....
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