Saturday 24 December 2016

अगर हमें आध्यात्मिक प्रक्रिया की सरलतम शब्दों में व्याख्याए करनी हो तो हम कह सकते हैं कि इसका मतलब है – ‘असतो मा सद्गमय’ यानी ‘असत्य से सत्य की ओर जाना’.......सत्य वह है, जिसे कोई निपट मूर्ख भी कर सकता है, क्योंकि इसमें कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती.....यह तो है ही, इसके लिए करना क्या है ?... #कब ?, #क्यों ?, #कैसे ?...सबको मालुम है....कुछ-कुछ, बहुत-कुछ, सब-कुछ…..और मजेदार तथा निष्पक्ष पहलू यह है कि यह सम्पुर्ण कार्य आपको ही करना है.....चमत्कार से कोई लेना देना नही....स्वयं की योग्यता स्वयं के लिए एक प्रायोगिक सत्य है....."रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#..

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