अपने रास्ते आना और अपने रास्ते जाना....और रास्ते मे चार आने भी मिल जाये
तो छूना नही....यदि चार मंदिर आ जाये तो नमन जरूर करना....रास्ते सबके, चार
आने का मालिक लापता और मंदिर सार्वजनिक...सबसे आसान तो चार आने को अपना
बनाना...भला रास्ता अपना कैसे कहला सकता है ?....यह जीवन का मुख्य प्रश्न
है जो जीवन के बुनियादी उसूल का निर्माण करता है...यथा बीजं तथा
निष्पत्ति....गाड़ी मे स्पार्क प्लग ढीला हो जाता है तो गाड़ी स्टार्ट नही
होती है और स्टेशन पर खड़ी गाड़ी किसी का इंतज़ार नही करती...स्टेशन से
गाड़ी छूटने का टेंशन हर एक को....सही वक्त पर सही पहलुओं पर संपर्क हो
जाये तो स्मारक बनना तय है...भविष्यवाणी योग बनने के बाद ही घोषित होती
है...योग अनेक और भविष्यवक्ता भी अनेक...और योग बनना-बनाना...कर्म तथा
पुरुषार्थ के इर्द-गिर्द....यह बात अलग है कि भक्ति-भाव से यह प्रार्थना
होती है कि हर योग-संयोग सफल और सुफल हो...योग-संयोग कुछ और नही बल्कि शुभ
समय से संपर्क मात्र है...घडी का कोई धर्म नही.....शुभ-अशुभ से कोई लेना
देना नही, बस चलना ही जिंदगी है....सबसे शुभ योग ईश्वर से नजदीकी मानी जा
सकती है,और इसका एक ही उपाय हो सकता है....सर्वदा प्रसन्नचित्त रहना...और
यह हो जाये तो दुनिया मुट्ठी मे.... नन्हे-मुन्ने तेरी मुट्ठी मे क्या है
?....तो बंधी मुट्ठी लाख की....मुनासिब उत्तर....वास्तविक प्रश्न तो यह है
कि एक पैर पर जॉगिंग कितनी देर संभव है ?....मालवांचल मे बच्चे एक पैर पर
उछल कर आज भी पव्वा खेलते है....इंटरनेट पर दुनिया को मुट्ठी मे कैद करने
के चक्कर मे यह खेल विलुप्त ना हो जाये आखिर हर उम्र के लिये लज़ीज़
फायदेमंद...खेल आसान है किंतु कितने लोग कर सकते है ?...भारी वजन के रहते
यह भजन कठिन हो सकता है.....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में
'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष".......मात्र स्वयं
का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #09165418344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#...जय हो...सादर नमन...#Regards#....
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