स्पष्ट उद्देश्य है....आप अपने बहुत सारे कार्यों को अच्छे से पूरा करना
चाहते है.....समान विचार वाले मित्रों को खोजना चाहते है....और मजेदार तथा
निष्पक्ष पहलू यह है कि यह सम्पुर्ण कार्य आपको ही करना है.....चमत्कार से
कोई लेना देना नही....जन्म पत्रिका नही......हस्त रेखाए नही....स्वयं की
योग्यता स्वयं के लिए एक प्रायोगिक सत्य है.....एक कथा में, एक मल्लाह, एक
कथाकार को बचाता है क्योकि कथाकार को तैरना नहीं आता था...जबकि कथाकार ने
हमेशा उसी मल्लाह की नाव से सम्पूर्ण क्षेत्र का भ्रमण करते
हुए भी तैरने की बात आवश्यक नहीं समझी....कथाकार के कथा ही सब-कुछ....अनेक
कथाये, अनेक सत्संग, अनेक पांडाल, अनेक साहित्य मंथन, अनेक सम्मान.....और
मल्लाह के लिए तैरने की कला जैसे साक्षात् #भगवान्#......गहरे
पानी पैठ....हर हालत में सदैव संग....जैसे सत्संग....सम्पूर्ण कथा में
मारने वाला कौन ? मालूम नहीं, परन्तु बचाने वाला ठीक भगवान समान.....यह
स्वयं बचने वाला स्वीकार करता है....जबकि बचाने वाले के लिए यह साधारण
कार्य जैसे…Part Of Everyday Life…..रोजमर्रा का सामान्य कार्य..
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