Saturday 24 December 2016

अतिथि देवो भवः....अतिथि को मीठे बोल के साथ शुद्ध भोजन और स्वच्छ बिस्तर मिल जाये तो सम्मान मे चार चाँद लग जाते है....और मस्तिष्क को पौष्टिक भोजन के साथ स्वस्थ मनोरंजन और उत्तम अध्ययन मिल जाये तो आत्म-सम्मान मे चार चाँद लग जाते है...sound mind in a sound body...यह ध्यान रखते हुये कि हर एक विचार मस्तिष्क मे अतिथि समान...तब दिमाग को तरो-ताज़ा रखना जरुरी हो जाता है....आखिर किसी भी रोग की माया....हर कोई ना समझे....परन्तु ईलाज हर कोई करवाना चाहे....आखिर रोग कई प्रकार के और लोग भी कई प्रकार के....भाँति-भाँति के...नाना प्रकार के....तब यह समझने की बात है कि...good health can be cultivated by good habits ONLY....पापा कहते है, बड़ा नाम करेगा....गुरु कहते है, पाप करने से बदनाम हो जायेगा....यानि कि हर बुरा कार्य पाप समान.....और सबसे बुरा काम मन को क्लिष्ट करना....हम बच्चों को सरल सी बात पर भी ठहाके मार कर खुश होते देख सकते है जबकि हम उन बातों को नजरअंदाज कर देते है...हालांकि हम उस दौर से गुजर चुके होते है अर्थात हम अपने ही अनुभव को गलत करार देते है....और अच्छे से बुरे की अल्टा-पलटी से बाज़ नही आते.......समय अपना-अपना....और आदान-प्रदान हो जाए....तो सहज आमने-सामने.....प्रणाम....सब मित्रों के बीच बैठ कर "रघुपति राघव" गाने का आनन्द....मात्र स्वयं का अनुभव...”#विनायक-समाधान#” @ #91654-18344#...#vinayaksamadhan# #INDORE#/#UJJAIN#/#DEWAS#..



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