Saturday 24 December 2016

*मैं आप लोगो के साथ हूँ ये मेरा भाग्य है।*
*पर आप सभी लोग मेरे साथ है यह मेरा सौभाग्य है..*
जय-गजानंद.....सदा रहे आनंद...दिन या रात की बात नहीं.....तब बात एक सुबह की भी नहीं...रात गयी-बात गयी तो कतई नहीं.....परन्तु हर सुबह स्वयं के घर की ही भली.... रहे....... इस आशय या निवेदन के साथ.....”सदा दिवाली संत की आठों प्रहर आनन्द....निज स्वरुप में मस्त है छोड़ जगत के फंद”.....गोविन्द दियो बताय.....जय हो...सादर नमन... सम्पूर्ण अभियान के पावन माध्यम प्रभु श्री..."विनायक"....मंगलमूर्ति, बुद्धिदाता....पूर्ण सहज...पूर्ण सात्विक....विनायक समाधान....विनायक रेखाएं...विनायक शब्द....विनायक चर्चा...विनायक जिज्ञासा....विनायक प्रश्न...विनायक उत्तर...विनायक गणना...विनायक उपासना...विनायक यंत्र...विनायक निमंत्रण...विनायक मित्र...विनायक वायुमंडल....विनायक उपाय...विनायक गति...विनायक उन्नति...विनायक अनुभूति...विनायक अहसास...विनायक एकांत...विनायक अध्ययन...विनायक आनंद...विनायक संतुष्टि..विनायक मार्गदर्शन...विनायक प्रोत्साहन..विनायक प्रार्थना....और इसी तारतम्य में विनायक अभियान हेतु उपरोक्त सभी का विनायक क्रमचय-संचय....निरंतर...वर्ष 2007 से... विनायक-मित्रो से सहज “विनायक-वार्तालाप”...अर्थात विनायक पुनरावृत्ति....’विनायक चर्चा’...विनायक शुरुआत अर्थात अंत तक विनायक आनंद की कामना...इसी विनायक कामना की पूर्ति हेतु विनायक प्रार्थना....एक मात्र मुख्य विनायक आधार--'गुरु कृपा हि केवलम्' ...एकमात्र विनायक उद्देश्य--'सर्वे भवन्तु सुखिनः'....उत्तम 'वैदिक-योग'...विनायक-चर्चा सबके संग...तब यही सत्संग.....पेपर के पन्नो की हिस्सेदारी....बिना वसीयत के....तब कोई उत्तराधिकारी नहीं.....हिंग लगे ना फिटकरी....दोनों का चौखे रंग से भला क्या लेना-देना ?...भैंस के आगे बीन बजाने की बात से भैंस को बीन से कोई लेना-देना नहीं.....गई भैंस पानी में....ठीक वैसे ही जैसे सब जानवर पानी में ही जाते है....काला अक्षर भैंस बराबर....जबकि सफ़ेद कागज़ पर काला अक्षर मोती समान चमकता है....और बच्चा किसी का भी दूध पिये सबसे पहले निबंध गाय के ऊपर ही लिखता है...और माँ के दूध का कर्ज कभी चुकता नही हो सकता है....शायद इसीलिए अमृत-तुल्य नहीं बल्कि साक्षात् अमृत.....तब यह अमृत हर किसी के भाग्य में...जय हो.....इस कुरुक्षेत्र के मैदान में शास्त्र शस्त्र बन औजार का कार्य करते है......यही मनुष्य का सर्वोत्तम प्रदर्शन है....यह आवश्यकता चूँकि इसलिए कि सेवा-क्षेत्र में जीवन के क्रिया-कलाप सार्वजनिक होना आवश्यक है.....धर्म-कर्म और सेवा का समागम हो जाये तो निश्चिन्त रूप से संतुष्टि बरसेगी.....धारयताम पक्षबलेन...अर्थात HOLD WITH THE STRENGTH OF WINGS...हवा मे टिकने की कला पक्षी बचपन से ही सीख लेता है....सृष्टि में व्याप्त...God is the space in which all things happen in a sequence...☢.....you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....विनायक समाधान @ 91654-18344...INDORE/UJJAIN/DEWAS..



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