Monday 26 December 2016

“तदेजति तन्नैजति तद दूरे तद्वन्तिके....
तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः”.....
... इतनी सी यात्रा साधना की....हर दिन नया सवेरा...हर रात के बाद सुबह....चमत्कार का सरल नियम....कब?, क्यों?, कैसे?.....इत्यादि प्रश्नों के उत्तर बुद्धि से ही संभव है....तीनो पहलु अपने-अपने स्थान पर कायम है......और इनका योग अर्थात सम्मिश्रण हो जाये तो पौ-बारह...आओ इसका पता लगायें.....किसी पहलु पर आवश्यकता के अनुरूप सोचने में तो समानांतर सोचने वाले की आवश्यकता महसूस हो सकती है....आपकी प्रसन्नता और खुशहाली ही विनायक समाधान की सफलता है....सदा आपके साथ......हार्दिक स्वागत.....विनायक समाधान @ 91654-18344....( इंदौर / उज्जैन /देवास )...जय हो....भले पधारो सा…


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