.the power of LOVE...
whenever love glows, it is bliss...
a state of perfect happiness.....
इसी प्रेम से गणपति और कार्तिकेय की सिद्धियां प्रसारित होती है...सबसे बड़ा सत्य...आदमी अपनी कुशलता से कितना भी आगे चला जाये, फिर भी एक समय मे खुद को ऐसे स्थान पर खड़ा पाता है, जहाँ से उसे आगे का रास्ता मालुम नही होता है...बस यह मानना होगा कि यहीं से ईश्वरीय सत्ता शुरू होती है...अवसाद और विषाद का सामना सभी करते है...स्वयं के प्रति संशय हो तो जीवन मे पलायन का अध्याय शुरू होता है...तब स्वयं की सत्ता से ज्यादा शक्तिशाली ईश्वर की सत्ता सिद्ध होती है...जो अवसाद की अपेक्षा आनंद को उत्पन्न करती है...हर उचित मार्ग अनुसरण करने के लिये....किन्तु हर मार्ग सात्विकता से परिपूर्ण हो...अनेक युग व्यतीत हो जाने के बाद भी हम आज भी अपने आराध्य देवों के प्रति भक्ति भाव प्रकट करते है...
पार्वती-पति...हर-हर शम्भू....पाहि-पाहि दातार हरे...शिव-भक्ति सर्वाधिक सरल...शिव-आराधना सर्वाधिक आसान....शिव-मार्ग सर्वाधिक सहज...सभी के लिये....मजदुर, कारीगर, कलाकार....सभी नत-मस्तक....यंत्र, तंत्र, मन्त्र....शास्त्र, शस्त्र....धर्म , विज्ञानं एवम् साहित्य....ये तीनो पहलू हमारे भीतर मौजूद है...हम प्रतिदिन इन पहलूओ पर कार्य करते है...
whenever love glows, it is bliss...
a state of perfect happiness.....
इसी प्रेम से गणपति और कार्तिकेय की सिद्धियां प्रसारित होती है...सबसे बड़ा सत्य...आदमी अपनी कुशलता से कितना भी आगे चला जाये, फिर भी एक समय मे खुद को ऐसे स्थान पर खड़ा पाता है, जहाँ से उसे आगे का रास्ता मालुम नही होता है...बस यह मानना होगा कि यहीं से ईश्वरीय सत्ता शुरू होती है...अवसाद और विषाद का सामना सभी करते है...स्वयं के प्रति संशय हो तो जीवन मे पलायन का अध्याय शुरू होता है...तब स्वयं की सत्ता से ज्यादा शक्तिशाली ईश्वर की सत्ता सिद्ध होती है...जो अवसाद की अपेक्षा आनंद को उत्पन्न करती है...हर उचित मार्ग अनुसरण करने के लिये....किन्तु हर मार्ग सात्विकता से परिपूर्ण हो...अनेक युग व्यतीत हो जाने के बाद भी हम आज भी अपने आराध्य देवों के प्रति भक्ति भाव प्रकट करते है...
पार्वती-पति...हर-हर शम्भू....पाहि-पाहि दातार हरे...शिव-भक्ति सर्वाधिक सरल...शिव-आराधना सर्वाधिक आसान....शिव-मार्ग सर्वाधिक सहज...सभी के लिये....मजदुर, कारीगर, कलाकार....सभी नत-मस्तक....यंत्र, तंत्र, मन्त्र....शास्त्र, शस्त्र....धर्म , विज्ञानं एवम् साहित्य....ये तीनो पहलू हमारे भीतर मौजूद है...हम प्रतिदिन इन पहलूओ पर कार्य करते है...
No comments:
Post a Comment