Saturday 24 December 2016

वास्तव मे विश्वव्यापी.... just international....आमने-सामने का सरल प्रयोग....यह हर एक का अनुभव हो सकता है.....किसी से पता पूछने पर पता चलता है कि उसे उस क्षेत्र के बारे मे कितना पता है....और बात पते की तब सिद्ध होती है, जब पता मिल जाता है...और यह पता पूछने वाली की आखिरी मंज़िल होती है....यानि कि सुकून भरी सांस....तब हवा मे कोई स्वाद नही....बस सुहानी सी लगती है....तब भटकने का कोई डर नही...पूरी यात्रा मे रोकड़े का काम नही....सचमुच कैश-लेस....पैसे की कमि पेशी वाली कोई बात नही....वफ़ादारी की चाहत या बगावत की फितरत का कोई प्रश्न नही....और अपने क्षेत्र की जानकारी दो लोगो को बेहतर होती है...एक ट्रैफिक पुलिसमेन और दूसरा पोस्टमेन....एक चौराहे पर खड़ा रह कर सब-कुछ बताता है, दूसरा घर-पहुँच सेवा देता है...सत्य सेवा की शपथ के साथ...और यह सात्विकता कायम रहे तो कहीं से कही तक कोई प्रपंच नहीं....ठेठ से ठेठ तक सुकून....अंत में वही सुकून की सांस...और विरोध मे भी विजय हो जाये तो ईश्वर की कृपा या अनुकम्पा की बात नही, किन्तु आभास या अनुभूति का अहसास अवश्य सम्भव है....कार का विज्ञापन सभी करते है किन्तु ट्रक का विज्ञापन कुछ कलाकार ही करते है...और भारी मशीनों को किसी विज्ञापन की कोई आवश्यकता नही....साइकिल का विज्ञापन बच्चा-बच्चा करता है...और खुद के पैरों पर चलने का अनुभव हर एक को....तब यह प्रश्न कोई ना पूछे कि कोई कैसे थक जाता है ?...और दिमाग थक जाता है, बगैर कही आये-जाये....और दिमाग पर दोनों आरोप लगते रहते है...किसी का दिमाग नही चलता है या फिर कोई भी दिमाग से पैदल हो सकता है...दिमाग थके या शरीर...ईलाज एक ही होता है...सुकून की नींद....किन्तु फिर भी आदमी कहता है...करवटे बदलते रहे, सारी रात हम....तब यह सोचते-सोचते दिमाग थक जाता है कि आखिर नींद आसानी से क्यों नही आती है ?....आखिर जाती कहाँ है ?...और पैदल चलने वाला इन सब लफड़ों से कोसो दूर....एक घण्टा पैदल चलने के बाद सिर्फ दस मिनट मे नींद अपने-आप आ जाती है...आमंत्रित करने की कोई आवश्यकता नही....भला कोई किसी को रोजाना क्यों बुलाये ?...नियम के अनुसार तो हर कोई बिन बुलाए मेहमान....और जो नियम तोड़े वह एक ना एक दिन सरकारी मेहमान....और मजदुर को नींद जबरन कान मे फुसफुसा कर कहती है....मान मैं तेरी मेहमान....यह वही नींद होती है जिसे अच्छे-अच्छे कहते है....आ, आ....आजा...एक बार आजा.....आनन्द के लिये हम सम्पुर्ण सर्च इंजिन को खंगाल सकते है....तब यह आध्यात्मिक विषय बन जाता है...you may search into Google....just say "vinayak samadhan".....बातों-बातों में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते....सादर नमन्...जय हो..."विनायक-चर्चा" हेतु हार्दिक स्वागत....विनायक समाधान @ 91654-18344...INDORE/UJJAIN/DEWAS...



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