अन्तराष्ट्रीय-स्तरीय...छोटी-बड़ी पूरी पांच सौ पोस्ट की श्रृंखला...समय का
अच्छा-खासा निवेश....पूरी पोस्ट पढ़ने पर उत्पन्न प्रश्नों का उत्तर खुद से
प्राप्त करना....स्वयं की जवाबदारी होगी...कोई चेतावनी नही...यह हर
धर्म/संप्रदाय के हर एक इंसान का विश्वव्यापी संस्कार है कि बुजुर्ग आज तक
नौजवानों की पीठ पर थप्पी या गाल पर चिकोटी या सर पर हाथ या कंधे पर स्पर्श
करते रहते है...जादू की झप्पी का निर्माण बुजुर्गो ने शुरू किया है...क्या
यह जारी है ?...और क्या इस प्रक्रिया मे हमारा योगदान जारी
है ?....आरोप की बात नही किन्तु प्रत्यारोपण विचाराधीन....और ऐसा नही है
कि यह सब-कुछ इंसान ने जानवरो को एक-दूसरे को चाटते हुए देख कर सीखा
हो....यह तो अंदर की बात है....अंदर ही अंदर पैदा होने का रहस्य खुद के
अलावा कोई और कैसे जाने ?...और आम-जगह पर आम-लोगो के बीच यह आम-कहानी है
कि.....गुलाबी नोट की गड्डी....सात पर्दो मे भी रख दी जाय तो महकमा उसे
ढूंढ निकालेगा....और इतना ही नही उसके साथ रखी गई अन्य सामग्री भी जप्ती हो
जायेगी....यदि उचित स्पष्टीकरण उपलब्ध ना हो तो सचमुच राजसात....यही है
उचित तत्व-दर्शन...और इंजीनियरिंग की प्रतिभाएँ भी सोचने पर
मजबूर...सिग्नलिंग का राज़ आखिर कितना गहरा ?....आखिर छापामार करवाई तो एक
ही सांस मे कहती है....NEVER BEFORE, LIKE THIS... BEST EVER.....करोड़ो
मित्रों मे चंद जयचंद आसानी से पहचान मे आ जाये तो यह काम अभी तक आधा-अधूरा
क्यों रहा ?....तब यदि उत्तर उचित ना हो तो स्वयं से यह प्रश्न करने का
साहस उत्पन्न होना चाहिये कि क्या हम धर्म से विमुख होने का प्रयास करते
रहे ?....तब उत्तर केवल एक शब्द मे जायज हो सकता है....YES / NO....आज़ादी
के बाद यह कैसी आज़ादी कि....बाग़डोर चंद जयचंदो के हाथों मे....लेकिन ऐसा
नही कि सर्वशक्तिमान से कुछ छुपा रहे....इतिहास गवाह है वक्त ने हमेशा
दुनिया को समय-समय पर "माई का लाल" दिया है...आखिर सबके पल्ले लाल....कुशल
शासक वह होता है, जो जन-संवाद मे महारथ हासिल करता हो...जन-सम्पर्क की बात
बाद मे...ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी....मिसाइलों का नामकरण आवश्यक हो जाता
है....ठीक जैसे प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा....पत्थरो को इस प्रकार ढाला
जाये कि वे हमारी बात सुन सके....जैसे मजारो मे मौजूद जान....सदका करने पर
सब कुछ जान लेती है....मिट्टी की मूर्ति खुद कहती है....कण-कण मे
भगवान....यही बात शास्त्रों मे लिखी है....कागज पर शब्द....विभिन्न भाषाओं
मे....भिन्न-भिन्न नामों के साथ....और सबका मिट्टी के साथ अटूट
सम्बन्ध....TOTAL SIGNALLING.... FOREVER.....THE BEST....WHENEVER....
WHEREVER....जीवन्त-संपर्क....भारत-वर्ष का इतिहास भविष्यवाणी करता है कि
डंके की चोट पर कहने वाला कोई तो पैदा होगा....आखिर यह भूमि संतो की भूमि
है और असर तो आकर रहेगा....जो देश पुरे विश्व मे आध्यात्मिक जाना जाता है,
वहाँ भ्रष्टाचार का क्या काम ?....तनाव पूर्ण स्थित सदैव नियंत्रण मे
रहेगी....सर्वोत्तम भविष्यवाणी....संसदीय, संवैधानिक, मर्यादित....साम,
दाम, दंड, भेद मे सामन्जस्य स्थापित करना ही कुशल प्रशासक का कर्तव्य
है.....अपनी धुन मे....तीर की तरह....जबकि धनुष अपनी जगह ठीक घुड़सवार के
समान....स्थिर....जड़त्व को धारण करने की अदम्य क्षमता.....बातों-बातों
में....खेल-खेल मे....चलते-फिरते....सादर नमन्...जय हो..."विनायक-चर्चा"
हेतु हार्दिक स्वागत....विनायक समाधान @
91654-18344...INDORE/UJJAIN/DEWAS...
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