जय हो... हताश होने के कारण दस और हताश करने के बीस.....और हताश व्यक्ति के
लिए दुनिया में एक से बढ़ कर एक व्यंग ठीक जैसे विष में बुझे तीर....असफलता
में उम्मीद से दो-गुना व्यंग....अपनेपन में भी अपमान...और मजे की बात यह
है कि सभी अपने...अपनापन की कमि न थी तो अब परिवर्तन क्यों ? कैसे ?...ठीक
कुरुक्षेत्र का मैदान....ठीक अर्जुन के समान...श्रेष्ठतम होते हुए भी कोई
समाधान नहीं....सम्पूर्ण हताश...स्वजनों का अपमान संस्कार में
नहीं....परन्तु बात "नीति-शास्त्र" की है, अत: "धर्म-शास्त्र" भी
स्वत: समर्पित....अपना-पराया का निर्णय शुद्ध रूप से 'नीति-शास्त्र' के
निर्णय होते है....जो नीति के विपरीत पाया गया....संस्कार के
विपरीत...स्वत: या स्व-घोषित....और सहज-हल स्वयं 'माधव' द्वारा....सहज सखा
स्वरूप....और यह सहज-सत्य है कि 'श्री-जी-मित्र' ने मात्र 'सहज-सखा-अर्जुन'
को समाधान प्रदान किया...मात्र शब्दों का उपहार....एकमात्र
प्रोत्साहन...यही हो सकता है....'त्वरित-संवाद'....'विनायक-संवाद'....और
सात्विक संवाद-दाता सहज उपलब्ध....यत्र-तत्र-सर्वत्र...श्री जी प्रत्येक
अर्जुन-स्वरूप-सखा के लिए सदैव सहज तत्पर....त्वरित....तैयार....श्रीकृष्ण
स्वयं की मण्डली में शब्दों की "ब्रह्म-लीला" के कारण अपरंपार माने जाते
है...एक संसार मात्र मित्रों का, न कोई भक्त, न कोई भगवान....अर्जुन अपनी
एकाग्रता के कारण श्री जी के प्रिय हो सकते है...परन्तु प्रधान मित्र तो
फिर भी सुदामा ही हुए..." मित्रता का कोई जवाब नहीं"....एक अदा मित्रता की,
मदद लेने की, मदद करने की....सर्व-प्रथम शब्द...मात्र आदान-प्रदान
हेतु...शुभचिंतक मित्र हो सकता है या मित्र शुभचिंतक होता है ?...यह अनुभव
प्रत्येक मित्र का सहज अधिकार हो सकता है...सहज प्रोत्साहन से आत्म-विश्वास
तक यात्रा...समस्याओं का समाधान मिल-जुल कर ढूँढना ज्यादा आसान हो सकता
है....कभी-कभी...ताकि उलझन कम हो....अकसर...और हताशा या मायूसी गायब हो
जाये...हमेशा के लिए...यही निवेदन या विनय या प्रार्थना...सादर नमन...जय
हो...प्रणाम....प्रत्येक चित्र, मित्र के रूप में....एक ‘निमंत्रण-पत्रिका’
या ‘VISITING CARD’ या ‘BANNER’ या ‘HOARDING’....जो भी हो....पर
है....BECAUSE OF YOU…..हम इस दुनिया-दारी में गुम हो जाते है....तब
गुम-शुदा की तलाश या गुमनाम.....तब कोई तो हो जो FIR
अर्थात्....’रपट दर्ज करे’.....और गाँव की पुलिया पर लिखा है कि पानी ज्यादा होने पर “रपट पार करना मना है”....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)..
अर्थात्....’रपट दर्ज करे’.....और गाँव की पुलिया पर लिखा है कि पानी ज्यादा होने पर “रपट पार करना मना है”....हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)..
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