Sunday 25 October 2015

WITH DUE RESPECTS....AS FRIENDSHIP IS FOREVER......WITH BEST REGARDS......
समस्त परम-मित्रों की जय हो....शब्दों के माध्यम से सम्बोधन की वजह....मित्रों से रूबरू होने का रास्ता....सीधा रास्ता....फायदा तो सीधे रास्ते पर चलने से ही मिलता है...अपनी बात कहने का अवसर....सात्विकता से, शालीनता से, सहजता से....संगीत को जितनी धीमी आवाज में सुना जाय, एकाग्रता में उतना ही आनन्द....जिस प्रकार गरिष्ठ भोजन हानि अवश्य करता है उसी प्रकार नकारात्मक विचार या साहित्य हमारे मन तथा मस्तिष्क को अवश्य दूषित कर सकते है....वृहद् अनुभव से ज्ञात होता है कि प्रत्येक मित्र अपेक्षित परिणाम प्राप्त करना चाहता है....तब आवश्यकता होती है गीता में वर्णित 'कर्मवाद' की...महापुरुषों की जीवन-गाथाओं का चिंतन-मनन ही चरित्र निर्माण का सहज पथ होता है...इसी आधार पर उत्तम शब्दों का प्रसार संभव है...अति-आवश्यक है कि आध्यत्मिक विचारो का प्रसार हो....Just Simple...&....Must Compare & Share...दावानल की तरह लपेटने हेतु, हर दिशा में फैलने के लिये, यत्र-तत्र-सर्वत्र धधकने हेतु....सुख का एक द्वार बंद होने पर दूसरा द्वार स्वतः खुल जाता है...और हम है कि निरन्तर बंद द्वार देखते रहते है...शायद इसीलिए खुला द्वार नहीं दिखाई देता है...जीवन के संग्राम में सिर्फ कर्म के आधार पर रंगमंच का नायक बनना सम्भव है...मात्र प्रयास तथा परिश्रम से पसीना आता है.....जिस प्रकार प्रतिदिन सुबह घुमने का सपना देखते हुए गहरी-नींद का सुख हर कोई ले ही लेता है....उसी प्रकार अच्छा करने के इन्तजार में उम्र गुजरती जाती है....साल, महीने, दिन....चार आना, आठ आना, बारह आना, सोलह आना...गणना की भाषा में पच्चीस, पचास, पचहत्तर, सौ.....आश्रम का सन्देश यही....संस्कारो में शुद्धता हो और गणना में संस्कार हो...गणनाओ में परिवर्तन सम्भव है परन्तु संस्कार क्षण-भंगुर कदापि नहीं....यह बात स्वयं शास्त्रों ने कही...संस्कारों की प्रतियोगिता सम्भव नहीं परन्तु 'नियमितता' अनिवार्य शत-प्रतिशत...सशर्त...आवरण...सुरक्षा-कवच....मात्र मित्र... सत्य के निकट या निकटतम....प्रतियोगिता में सहभागी...प्रतिध्वंदी कदापि नहीं...'सेर को सवा सेर' मिल ही जाते है परन्तु मन तो स्वतः 'सवा-मन' हो जाता है...शायद इसीलिए मन को काबू में रखा जाता है...यह सार्थक करने के लिए...."मन चंगा तो कठौती में गंगा"....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill.....With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS....












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