Tuesday 13 October 2015

.किसी भी विषय का अध्ययन...किसी आयाम को छूने की कामना की सहज पूर्ति...मात्र अध्ययन के माध्यम से...प्रार्थना के शब्दों का एक-मात्र उदगम-स्थल....मात्र अध्ययन...अध्ययन के अनेक अंग....सबका एक ही रंग....मात्र, सिर्फ, केवल, Only..."सत्संग"...जहाँ और कुछ नहीं हो सकता है, बस...."ईश्वर की उपस्तिथि का अहसास होता है"...चिरस्थायी, अक्षय, विराट...मात्र आनंद को सफल तथा सुफल बनाने के लिये...यही है 'विनायक-योग'...ठीक जैसे उत्तम 'वैदिक-योग'....सम्पूर्ण चर्चा का "संपर्क-सूत्र'..."विनायक-सूत्र"...."91654-18344"...'9+1+6+5+4+1+8+3+4+4'='45'="9" अर्थात सहज अक्षय समीकरण....इस समीकरण में सम्पूर्ण अंक-शास्त्र सिर्फ तीन अंक गायब है.....0, 2, 7... और (0+2+7=9)....जो अप्रत्यक्ष है, वही प्रत्यक्ष है....यह बात अलग है कि दोनों को जानने के लिए समीकरण हल करना अनिवार्य है...सात्विक तथा सहज परिश्रम...'विनायक-परिश्रम'....हार्दिक स्वागतम @ 91654-18344...INDORE+UJJAIN+DEWAS...www.vinayaksamadhan.blogspot.in.....जय हो...सादर नमन...Regards.









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