Friday 30 October 2015

हर तलब का एक ही मतलब....अभी के अभी...Any How, Right Now, Just Now....जो हाजिर वही सही....कच्चा-पक्का....सब-कुछ सही...गुस्ताखी माफ़...क्या यह प्रश्न उचित है कि जानवर, आदमी को मुर्ख बना सकता है ?....जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजने का प्रयास, बस वही लिखने का प्रयत्न....शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश....गौर तलब बात....हर तलब का एक ही मतलब....अभी के अभी...Any How, Right Now, Just Now....जो हाजिर वही सही....कच्चा-पक्का....सब-कुछ सही...आदमी, आदमी को मुर्ख बना सकता है, एक बार नहीं, हजार बार...किन्तु जानवर को नहीं....जानवर, जानवर को मुर्ख बनाता है या नहीं ?....पता नहीं...i don't know.....लेकिन शेर, शेर को कभी नहीं खाता...यह fact सबको पता...शेर का शिकार भला स्वयं शेर कैसे बन सकता है ?...अब गुस्ताखी माफ़...क्या यह प्रश्न उचित है कि जानवर, आदमी को मुर्ख बना सकता है ?.....जानवर वही कार्य करता है, जो उसे सिखाया जाता है...और तब करता है जब उसे कहा जाता है...इशारो में, ध्वनि रूपित शब्दों द्वारा...इस चेष्टा के साथ कि एकबारगी...सुनो तो जरा...परन्तु फिर भी यह नहीं कि...’एक बार मुस्करा दो’...और खुश होने के इशारे हजार...मात्र ध्वनि से इजहार...और मुस्कराहट में तो शब्द व्यक्त करना....’हा-हा, ही-ही’.....मात्र मनुष्य का अधिकार...ठीक जैसे सुचना का अधिकार...कब ?, क्यूँ ?, कैसे ?....आगे वही लिखा जा सकता है, जो सबको सब-कुछ पता है...इस निवेदन के साथ कि...."एक बार मुस्करा दो"....मुस्कराने के रास्ते हजार...एक बार नहीं...बारम्बार....और ताजगी का अहसास हर-बार...और माध्यम मात्र....शब्द दो-चार...आर-पार....कई-बार.....और सरहद हो या सरहद-प सदैव सदाबहार...और इस वक्त घड़ी में बजे है...सुबह के चार...नित्य-कर्म का विनायक-प्रारम्भ....'प्रभु से हो जाए आँखे चार'....यही आहार, विहार, सदाचार....और प्रत्येक बने...यारों के यार....बस यही है...'सात्विक-समाचार'....और कुछ समय बाद सम्मुख होगा...पसंदीदा 'अखबार'....सहज शब्दों द्वारा जाने संसार....और यही प्रयास कि....सात्विकता का हो सहज 'प्रसार'....और कहती है 'माँ प्रसार भारती'....निरन्तर रहे 'आरती'....सहज आकाशवाणी....यही हो 'वीणा की वाणी'....मै 'मालिक' अपनी मर्जी का, पर मेरा "मालिक" कोई और....ठीक जैसे....Train Your MIND, To Mind Your TRAIN....अभी के अभी...Any How, Right Now, Just Now....संकट में घड़ी की चाल धीमी लगती है और प्रसन्नता में यही घडी पंख लगा कर उडती प्रतीत होती है....शायद यही सबसे बड़ा भ्रम है....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....यही है आदेश....अतिशीघ्र दूर हो स्वयं के दोष....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill..... To Fit With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS...

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