Monday 26 October 2015

स्वागतम.....हार्दिक स्वागत.....सिंहस्थ वर्ष 2016......अवन्तिका नगरी......
निश्चिन्त अन्तराल”….. मात्र बारह वर्ष....और सिंहस्थ २०१६.....गणनात्मक आस्थाओं का अदभुत उत्सव.....12 सेकण्ड, 12 मिनट, 12 घंटे, 12 दिन, 12 महीने, 12 राशियाँ, 12 वर्ष...सहज अमृत-वर्षा….प्रतीक्षा का आनन्द...सुनिश्चिंत परम-आनन्द......पावन स्थान....’अवन्तिका’ नगरी.....JUST ORDINARY……SO SIMPLE……मामूली मतलब साधारण....अर्थात निश्चिन्त अन्तराल में कोई भी कार्य करना....घड़ी के साथ-साथ चलना...कुछ समय के लिये...घंटा-आधा घंटा...और धर्म की घड़ी अर्थात चौघड़िया...दिन का या रात का एक हिस्सा पुरे डेड़ घंटे का (90 minutes)....इसे कहते है 'सैर को सवा-सैर'...नहले पर देहला...बात पते की...बात तो घंटे की है....मामूली बात कि हर मंदिर में घन्टा होता है...पांच-दस मिनिट आगे-पीछे...."वो है" से कहना होगा कि 'अपुन चलेगा "बाप"...कसम से....बाहुबली बनने से पहले बाहें फैलाना, तैराना तथा लहराना सशर्त सीखना आवश्यक नहीं बल्कि अति-आवश्यक भी हो जाता है, राज्य-पक्ष में जड़त्व भला, बिना अभ्यास के सम्भव कैसे ???.....जयकारे में 'जय श्री महाकाल'.....सहज सरपरस्ती....राजाधिराज....अवन्तिका नाथ.....मामूली स्मरण....."हे नाथ, मेरे नाथ, मै आपको भूलू नहीं"....स्मरण अति-आवश्यक....मनुष्य की याददाश्त कमजोर हो सकती है...ब्राह्मी, शंखपुष्पी गवाह है....सिर्फ मनुष्य ही सोच सकता है कि मै कौन हूँ ?....मै कहाँ हूँ ?....तब कल्पना करे कोई कहे कि....This is not a Hotel....This is not a Theater....Come with me....Just in the TEMPLE....और मुन्ना-भाई कहता, कि "बसाना है तो बापू तो दिल में बसाओ"...राजा वही, जो शिखर से सम्बोधित करे...दर्शन वही जो दुनिया देखे...राजा वही जो प्रजा के पास स्वयं जाये....किसी भी रूप में..."शिखर दर्शनम् पुन्य लाभम्"....मात्र शिखर ही ध्वजारोहण का सामर्थ्यवान उत्तराधिकारी सम्भव है...यश, किर्ती में सहज वायुमंडल साक्षी.....राजा वही जिसके राज्य में संतोष रूपी धन की नदियाँ बहे....त्रिलोकी नाथ.....अवन्तिका नाथ.....तो क्या अवन्तिका नगरी 'त्रिलोकी-धाम' है ?...!!!....यह तो घाट-स्नान का अनुभव हो सकता है....यह Home-Work ना हो कर Outdoor-Work अवश्य हो सकता है....और यह सर्व-प्रथम राजा कहता है कि "पधारो म्हारा देश"....."अमृत-वर्षा"....सिंहस्थ-2016....निश्चिन्त रूप से असाधारण....अमृत-मंथन का शेष.....अणु में अवशेष....अणु-परमाणु...आत्मा-परमात्मा...विष-पान से नीलकंठ की उत्पत्ति....मीरा ने पिया विष का प्याला विष को भी अमृत कर डाला...साधारण का असाधारण से संगम..."पग घुंघरू बाँध मीरा नाचे रे और हम नाचे बिन घुंघरू".....पधारो म्हारा देश....पधारो सा....सिंहस्थ-2016...गणनात्मक आस्थाओं का अदभुत उत्सव.....12 सेकण्ड, 12 मिनट, 12 घंटे, 12 दिन, 12 महीने, 12 राशियाँ, 12 वर्ष...सहज अमृत-वर्षा….प्रतीक्षा का आनन्द...सुनिश्चिंत परम-आनन्द...."जय श्री महाकाल"....भोले-नाथ...."स्वयंभू"....त्रिलोकी-नाथ.....अंवतिका-नाथ.....जय हो......सादर नमन....खम्मा-घणी....मात्र "घणी-खम्मा"....कृपा-दृष्टि....एक झलक प्राप्त हो जाये...बस यही..."आरज़ू"..."ख्वाहिश"... राजा का ही एक रूप हो सकता है...हर चुनौती से दो-दो हाथ करने के लिये कि...."मुक्के तैयार है मेरे"...और यह बहुत मामूली बात है कि मुक्का मतलब "मुठ्ठी"....बंधी मुठ्ठी लाख की....पुरे हाथ की ताकत....बजन मात्र 'ढाई-किलो'....दादागिरी का एक नियम “डर”....आदमी से नहीं हथियार से डर लगता है.....और धर्म में "अंकुश" से.....’विनायक-नियंत्रण”....सहज विनायक-संग....या 'संगति'...या सत्संग.....उपद्रवी भी 'सत्संग' में सहज रहेगा....मामूली कारण....."सहज-संगति"...."संगति-स्वंभू"....मामूली बात.....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill.....With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS.









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