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……’शत-प्रतिशत’...."खरी-खरी".....यह
मान कर कि प्रत्येक शरीर में आत्मा का निवास है....Just An
Attachment with Body....कब तक ?...पक्का...नहीं
मालुम !!! ...और आत्माओं के विषय में अनेक तथ्य...तथ्य न हो कर मात्र
यात्राये....मात्र आभास, अनुभूति तथा
अनुभव.....अहोभाग्य.....ठीक जैसे मुन्ना-भाई के दिमाग में 'बापू'....जिसका
गवाह मात्र लक्की-सिंह....और चिकित्सा-विज्ञान के अनुसार यह 'फ़ोकट' की
बात....इस विषय पर बहस करने का समय नहीं....कोई भी बहस अन्तहीन हो सकती है...कोई
भी बहस 'घड़ी' अर्थात
समय जैसे 'महत्वपुर्ण' शब्द
को बेहद आसानी से 'महत्वहीन' बना
सकती है....'अटल-सत्य'...घडी
के कांटे...गति की 'शक्ति'...ठीक
जैसे आस्था की अनिवार्य 'भक्ति'....और
असत्य से सदा के लिए 'मुक्ति'....समय
के सम्मान में स्वयं को सिद्ध करना सर्व-श्रेष्ठ 'सत्य' हो
सकता है..माना कि 24 कैरेट सोना....Pure
GOLD....यानी...Sure For PURE.....सबके
बस में नहीं....पर खोट भी अन्त में 'नियत
की खोट' सिद्ध हो जाती है....जो
दुसरो के साथ हो न हो....यह तो मन ही जाने, परन्तु
अपने तो सिर्फ 'अपनापन' ही
समझ सकते है....सिवाय इसके और कोई चारा नहीं....बात यदि 'आत्मा' की हो
रही है....तो चिकित्सा-विज्ञान को सादर-नमन कहते हुये यह स्वीकृत-विषय घोषित है
कि......प्रत्येक जीवित शरीर में जीवित अर्थात जाग्रत 'मस्तिष्क'.....यही 'मन'....यही 'आत्मा'.....आखिर
कोई 'प्रधान-मित्र' यूँ
ही "मन की बात" कहने के लिये 'समय' नहीं
निकलता है....निरन्तर, बारम्बार, लगातार....सहज
आकाशवाणी....'सर्वे भवन्तु सुखिनः'....यक़ीनन
विरोध भी जय-जयकार सिद्ध हो सकता है....आखिर स्वर को सात्विकता से परिवर्तन करना
बेहद आसान.....एक श्वास-दो स्वर....एक कला-अनेक प्रेमी.....और साधारण के लिए
बिल्कुल साधारण....दोनों बेशक अच्छी आत्माएँ...'मन की
बात' को 'मन' से ही
सुना जाता है...परम-आनन्द.....दुनिया को कौन चला रहा है ?....आस्था
की आवाज है---"ईश्वर"...परन्तु
'यंत्र-तंत्र-मन्त्र' कुछ , कुछ-कुछ, बहुत-कुछ....कहते
है....और 'षडयंत्र'.....'कुछ
भी नहीं कहते'....अच्छी आत्मा को शुद्ध रूप से
मस्तिष्क द्वारा मात्र आत्म-सम्मान हेतु 'ब्रहम-देव' माना
गया है... " ॐ
ब्रह्म देवाय नम: "....ॐ सिद्ध आत्माय नम: , ॐ
पूण्य आत्माय नम: , ॐ दिव्य आत्माय नम: , ॐ
पवित्र आत्माय नम: , ॐ दयालु आत्माय नम:
....सम्पूर्ण ईश्वर....सम्पूर्ण आस्था....सहज निष्ठा....शाश्वत प्रार्थना....सहज
अधिकार....साधारण मांग....We
Demand....Whenever....Wherever....&....Forever.....यत्र, तत्र, सर्वत्र.....क्षमा, रक्षा, न्याय, व्यवस्था....उर्जा...कण-कण
में....पल-पल में......सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस
'प्रण' के
साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just
Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय
हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An
idea.....To Feel Or Fill..... To Fit With
Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS...
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