Friday 23 October 2015

WITH     A     WARM    FRIENDSHIP    FOREVER.....
....दो लोग जब किसी टूटी हुई चीज को देखते है तो वे पहले प्रथम दो होते है जो उस चीज को सर्व-प्रथम जोड़ सकते है...विचार-विमर्श...माला टूटने पर, माला के मोती बिखर जाते है.....सब-कुछ टूटे पर ‘संस्कारों की माला’ टूटने न पाए....शब्द बिखरे मोती होते है परन्तु मन्त्र के रूप में माला बन जाते है....किसी भी टूटी चीज का कोई भी उपयोग विचाराधीन माना जा सकता है...शायद इसलिये कि उसमे ज्यादा परिश्रम लगता होगा !!! .....आविष्कार तो आवश्यकता पर निर्भर है.... परन्तु जोड़ने का काम तो प्रार्थना या निवेदन से ही संभव है.....बात बेहद साधारण है...मगर समझने के लिये.....मस्तिष्क को सहज परिश्रम करना पड़ सकता है....उच्च, समकक्ष या मध्यम....मन की बात मन ही जाने......भक्ति में आनन्द का आदान-प्रदान...सहज-यात्रा...सम्पूर्ण प्रकृति का सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड के लिये...सर्व-श्रेष्ठ शस्त्र...मात्र मनुष्य की ज्ञानेन्द्रियाँ....किसी का अस्तित्व स्वीकार करने की क्षमता...सहज प्राण-प्रतिष्ठा....सहज शास्त्र-स्वरूप....Get well Soon....Feel Good....विकल्प पर विचार....एक दुसरे के आमने-सामने..... …..और अकसर अनेक विद्धवानों के श्रीमुख से 'किर्तन' के समय एक श्री कथन 'श्रवण' किया सकता है..जो अनिवार्य रूप से 'मनन' तथा 'चिन्तन' का विषय या स्वरूप या प्रतीक या सूचक हो सकता है..."कि"...'गणनाये' सिर्फ सत्य के निकट या निकटतम होती है....मात्र मित्र....प्रतियोगिता में सहभागी...प्रतिद्वन्दी कदापि नहीं...'सेर को सवा सेर' मिल ही जाते है परन्तु मन तो स्वतः 'सवा-मन' हो जाता है...शायद इसीलिए मन को काबू में रखा जाता है...यह सार्थक करने के लिए...."मन चंगा तो कठौती में गंगा"....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill.....With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS....








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