Friday 23 October 2015

WITH DUE RESPECT......BEST REGARDS....
....सहज-अनुभव....पंचर से डर लगता है...गाडी हवा से बात कैसे करेगी ?...हवा की बात हवा में....और अकसर हम गाडी चलाने से पूर्व हवा चेक करते रहते है...और पेट्रोल-पम्प पर हवा अनिवार्य रूप से निशुल्क है...नपी-तुली मात्रा....अन्यन्त्र कहीं भी यह सुविधा बेहद कम अर्थात मात्र एक या दो रूपये में उपलब्ध है...यह सुविधा तलाशने के मशक्कत की आवश्यकता नहीं...सहज उपलब्ध...आखिर 'चलती का नाम, गाडी'....यह बात समझता है हर अनाड़ी....हवा निकली नहीं कि गाडी खड़ी हुई...हवा में उड़ने के लिए हवा जरुरी...हवा पर्याप्त न हो तो हवैंया उड़ना स्वाभाविक...कोई भी टोक ही देगा...यह तो समझ में आता है कि गाड़ी इशारे से अर्थात हाफ-किक में होना चाहिये....परन्तु यह भी समझने आने लगता है कि यह सब हवा से बात करने के लिये होना चाहिये.... 'हवा में बात' और ‘आकाशवाणी’ में अन्तर हो सकता है....बडबडाने से बेहतर है तो आँखों के इशारे हो सकते है....हवा एक और रूप अनेक....पवन, वायु , बयार, आंधी....या....चक्रवात.... …..और अकसर अनेक विद्धवानों के श्रीमुख से 'किर्तन' के समय एक श्री कथन 'श्रवण' किया सकता है..जो अनिवार्य रूप से 'मनन' तथा 'चिन्तन' का विषय या स्वरूप या प्रतीक या सूचक हो सकता है..."कि"...'गणनाये' सिर्फ सत्य के निकट या निकटतम होती है....मात्र मित्र....प्रतियोगिता में सहभागी...प्रतिद्वन्दी कदापि नहीं...'सेर को सवा सेर' मिल ही जाते है परन्तु मन तो स्वतः 'सवा-मन' हो जाता है...शायद इसीलिए मन को काबू में रखा जाता है...यह सार्थक करने के लिए...."मन चंगा तो कठौती में गंगा"....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill.....With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS....






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