Thursday 29 October 2015

TO ALL NEAR AND DEAR FRIENDS.....WITH DUE RESPECT.......‘आखिर कहां खो गये अलगू चौधरी और जुम्मन शेख ..!”सारी पोस्ट पड़ते वक्त यह अनुभव कीजिये कि दो लोगो में पत्र लिखा जा रहा है....रूबरू....आमने-सामने...पहले लगभग 10 से 20 बरस पूर्व....जब संचार व्यवस्था में चिठ्ठी महत्वपूर्ण मानी जाती थी...Latter in the 'LATTER-BOX'....अब में और तब में....जमींन आसमान का अंतर...पहले स्पष्ट बातचीत....एक बार चिट्ठी मिल जाए बस आठ-पन्द्रह दिन का सुकून.....वही बात लिखना बेहतर जो दुसरे को भी बेहतरीन लगे...एक पत्र की गल्ती दुसरे पत्र में सुधारने की अनोखी सुविधा...और यह कला आ गई तो कलाकार...स्वयं का प्रमाण दूसरों के हाथ और स्वयं का हाथ "जगन्नाथ"...कोई लिखे कि...."सादर नमन" तो साक्षात् 'नमस्कार' का आभास हो, अनुभूति हो, अनुभव हो...कुल मिला कर अहसास हो...'सुखद-अहसास'....गल्ती का हरगिज नहीं...कदापि नहीं.....सहज वाक्यों का प्रयोग...सम्मान और आशीर्वाद का सामंजस्य....और अब मात्र शब्दों का प्रयोग....वह भी संक्षिप्त में...HBD (happy birth day)....और तब...s2u....same to you...या....पटाक्षेप...वाला अहसान...Thnx...या...कभी भी मिलने का कच्चा वादा....या mobile discharge होने का बहाना...या संपर्क नहीं होने का स्पष्टीकरण....या सम्पूर्ण Network गायब...दोनों पक्ष द्वारा असत्य पर बेजुबान मुहर...साथ ही व्यर्थ की सामग्री का एकत्रीकरण...निरुत्तर के भी SMS....i will call you...कब ?...और मजे की बात उत्तर दोनों पक्ष के पास नहीं...'सम्पूर्ण-निरुत्तर'....काम की बात भूलने का निरंतर अभ्यास...निरन्तर...आगे जाने के चक्कर में...पीछे को महत्वहीन करने की योजना...मात्र एक दिन में वायुमंडल को भेदने की साजिश...भावनाओ को भुलाने का कोई पश्चाताप नहीं...मात्र दिख कर बिकने का प्रयास...मजे को कम आंकने का दुस्साहस...और फिर भी होंठो पर यह कि....'मजा नी लाइफ'...LIFE....भले ही भोजन की थाली पर इन्तजार करे वाइफ (Wife)....भले ही फलो को काटने का इन्तजार करे नाईफ (knife)....और शब्दों में जान हो न हो...यही उम्मीद कि मिलते रहे लाइक (Like)...भला हर किसी के हाथ में कैसे हो सकता है माइक (Mike) ???...तब मजा अपरम्पार...बारम्बार....और अब मजा कम से कम में....ज्यादा की उम्मीद....और उम्मीद से दस गुना ज्यादा का लालच...जबकि मेहनत कई गुना कम...नगण्य...मै 'मालिक' अपनी मर्जी का, पर मेरा "मालिक" कोई और....ठीक जैसे....Train Your MIND, To Mind Your TRAIN.....संकट में घड़ी की चाल धीमी लगती है और प्रसन्नता में यही घडी पंख लगा कर उडती प्रतीत होती है....शायद यही सबसे बड़ा भ्रम है....सादर नमन....जय हो....हार्दिक स्वागत....जय-गुरुवर....प्रणाम...इस 'प्रण' के साथ कि 'प्रमाण' में 'प्राण' बसे...Just Because Of You...."अणु में अवशेष"....यही है आदेश....अतिशीघ्र दूर हो स्वयं के दोष....जय हो..."विनायक समाधान"...@...91654-18344....Just An idea.....To Feel Or Fill..... To Fit With Faith....Just For Prayer..... Just for Experience....INDORE / UJJAIN / DEWAS.....




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