Sunday 11 October 2015

शुद्ध भाव से समस्त माता-बहनों को सम्बोधित...जय हो...सादर नमन....जय श्री महाकाल....जय गजानन्द...जय हो...शब्द समर्पित है शक्ति को...माँ गौरी को...सहज विनायक-चर्चा....धर्म ने सहज रूप से स्त्री-शक्ति को 'दुर्लभ-रत्न' स्वीकार किया है...मुस्कान को कायम रखने की योग्यता या क्षमता या पराक्रम...स्नेह, प्रेम, ममता, समर्पण, त्याग, बलिदान, श्रद्धा, धैर्य, सहिष्णुता...अनेक रूप...शब्द सर्व-प्रथम स्त्री-शक्ति को ही समर्पित हो सकते है...'दूजा ना मालिक कोय'...और मालिक तो सिर्फ एक....' मालिक एक'..."स्वामी"...'मै चाहें ये करू, मै चाहें वो करू'--मेरी मर्जी...मै अपनी मर्जी का मालिक, मेरा मालिक कोई और..."दुर्लभ-रत्न" के सेवक मात्र...इस याचना के साथ कि "या देवी सर्व भूतेषु-शक्ति रूपेण संस्थिता"....नारी समस्त रुपेण पुरुष का हित साधन करने में सक्षम है...कहा गया है........"कार्येषु मन्त्री, करणेषु दासी, भोज्येषु माता, रमणेषु रम्भा !... धर्मानुकूला, क्षमया धरित्री, भार्या च षड्गुणवती च दुर्लभा" !!.........स्त्री को दुर्लभ-रत्न मानने का सहज कारण...कार्य में मंत्री समान सलाह, सेवा में दासी समान, भोजन में पथ्य माता समान, आनन्द में रम्भा समान सरस, धर्म के पूर्ण अनुकूल, क्षमा को सर्वाधिक धारण करने में सक्षम- पृथ्वी समान क्षमाशील...वास्तव में विश्व-स्तरीय दुर्लभ-रत्न...प्रत्येक जगह सहज अनुकूल...श्रीराम के जीवन में सीता नहीं तो रामायण नहीं...द्रोपदी, कुंती, गांधारी के महत्वपूर्ण चरित्र के बिना महाभारत की महान गाथा नहीं--पांडवों का जीवन संग्राम अपूर्ण.....शिवजी के जीवन में माँ पार्वती के बिना लीला अपूर्ण....श्रीकृष्ण के जीवन में राधा-रानी के बिना गाथा अधूरी...श्री हरि विष्णु के जीवन में लक्ष्मी के बिना चरित्र अपरिभाषित....शायद यही कारण है इस शाश्वत सत्य का...."यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता !...जँहा नारी की पूजा, वहाँ देवता का निवास...सहज समृद्धि, यश, वैभव में वृद्धि...सुख-शांति और आनंदपूर्वक जीवन...नारी धन्यवाद की पात्र मानी जाती है, मात्र पुरुष को आस्तिकता का पाठ सिखाने के लिए....अर्थात सहज नैतिक शिक्षा...ईश्वर के आदेश का पालन करना, नैतिक जीवन जीना, दुष्कर्मो से बचे रहना, समाज को सुरभित करने हेतु अधिकाधिक योगदान देना....स्त्री का सम्मान ही उत्तम पुरुषार्थ की पहचान है.....प्रत्येक चित्र, मित्र के रूप में एक ‘निमंत्रण-पत्रिका’ या ‘VISITING CARD’ या ‘BANNER’ या ‘HOARDING’....जो भी हो....पर है....BECAUSE OF YOU….&….WE LOVE YOU….मित्रोँ स्मरण रहे....(VINAYAK) विनायक की भक्ति में हम सब (WE-NAYAK)....हम-नायक अर्थात गण-स्वरूप....और वह गण-पति अर्थात गण-नायक....Most welcome....regards... शेष चर्चा हेतु....www.vinayaksamadhan.blogspot.in....अवश्य अध्ययन करे...हार्दिक स्वागतम…..”विनायक समाधान” @ 91654-18344...(INDORE/UJJAIN/DEWAS)






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