Wednesday 7 October 2015

इतनी सारी....ढेर सारी...ढेरो.....POST...अब तक.....संचार-क्रांति का कमाल....निशुल्क....पूर्णत:......सब-कुछ सहज.....’विनायक-परिश्रम’....स्वयं की योग्यता-अनुसार सभी को सहज अवसर....’राम मिलायी जोड़ी’ के तहत मित्रता का सुअवसर....प्रतिभा या हुनर दिखाने का मौका....मन की बात कहने का सहज सुअवसर.....WHY ???....इस “क्यों” के अनेक उत्तर या स्पष्टीकरण हो सकते है....और अनेक से आसान एक....सहज उत्तर.....”आनन्द”.....सात्विक आनन्द....शब्दों का वायु-यान....शब्दों के सम्राट की सेवा में वायु-यान सहज हाजिर....शायद इसीलिए सम्राट की हाजिरी...यत्र, तत्र, सर्वत्र.....कोई अतिश्योक्ति, कदापि नहीं...वही प्रस्तुत जो हम सब को ज्ञात है....बस अध्ययन का महत्व स्वयं का कर्म सिद्ध हो....और सात्विकता पर धर्म का विशेष अधिकार है...अर्थात “परम-आनन्द हमारा सहज अधिकार है”.....प्रत्येक post में शब्दों और चित्रों के आधार पर आप सभी मित्रों का हार्दिक स्वागत....’विनायक-चर्चा’....एक आयोजन आमने-सामने की चर्चा का...प्रश्न-उत्तर का...अर्थात उत्साह का उत्सव....प्रोत्साहन का संस्कार...मात्र शब्दों का आदान-प्रदान....वर्ष 2007 से निरन्तर....विनायक-प्रारंभ....एक से एक....तत्पश्चात.....एक से अनेक....मात्र मित्र...परम आभावान मित्र....जिनकी विद्वत्ता की कोई मिसाल नहीं...जीवन की कला-कृति में उत्कृष्ट कलाकार....लाजवाब....सहज रूप से नेटवर्क में उपलब्ध है...”REALLY DIGITAL INDIA”…..और जब इतने सहज विद्वान मित्रों से सहज चर्चा होती है तो गर्व तो होगा ही, परन्तु शत-प्रतिशत पूर्णरूपेण सात्विक.…..’लेना न देना, मगन रहना’....एकांत सहज रूप से सार्वजानिक होकर सहज तथा सात्विक होना चाहिए....स्वयं का मस्तिष्क ही एक-मात्र जाग्रत गुरु है...प्रश्न पूछना महत्वपूर्ण तब होता है जब उत्तरों को स्वीकार करने की सहमति सहज हो....हम स्वयं से बहस नहीं कर सकते है, शायद इसीलिए हम स्वयं से असत्य नहीं बोलते....आसमान में पक्षी तथा वायुयान दोनों की दक्षता होती है, मगर समुद्र की गहराई तो गोताखोर ही मापने की हिम्मत कर सकता है...जय हो...सादर नमन...शेष चर्चा हेतु....www.vinayaksamadhan.blogspot.in....अवश्य अध्ययन करे...हार्दिक स्वागतम….प्रत्येक चित्र, मित्र के रूप में एक ‘निमंत्रण-पत्रिका’ या ‘VISITING CARD’ या ‘BANNER’ या ‘HOARDING’....जो भी हो....पर है....BECAUSE OF YOU….&….WE LOVE YOU….मित्रोँ स्मरण रहे....(VINAYAK) विनायक की भक्ति में हम सब (WE-NAYAK)....हम-नायक अर्थात गण-स्वरूप....और वह गण-पति अर्थात गण-नायक....Most welcome....regards.










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