.जय हो...अक्सर हम लोग देख सकते है कि घरो के बुजुर्ग या वृद्ध अक्सर अपने
इर्द-गिर्द कार्य करने वालों से चर्चा करने में दिलचस्पी दर्शाते है....और
एक कार्य के बदले में अनेक धन्यवाद....आसक्ति मात्र शब्दों के
प्रति...."तत्व ज्ञानार्थ दर्शनम्"...शब्दों का आवरण...दिनचर्या की सहज
शुरुआत....अनेक परिवारों में सुबह की शुरुआत घर के बड़ो को अर्थात आपस में
"जय श्री कृष्ण" या अन्य किसी प्रिय सुप्रभात वाक्य से होती है...न
पूजा-पाठ, न कोई अनुष्ठान, न प्रार्थना फिर भी आशीर्वाद....सहज चमत्कार....चंद
शब्द, मात्र एक संबोधन...मात्र शुरुआत...और फिर...'मजा नी लाइफ'...और जब
यह संस्कार नियमित हो कर अनिवार्य हो जाता है....तब, प्रतिदिन की प्रतिक्षा
का आनंद....सहज मुख-दर्शन...शब्दों का आदान-प्रदान....आमने- सामने...ठीक,
जैसे...Ready, Steady....GO...वायुमंडल में सक्रियता का समावेश....."नमन
करे उन्हें, स्मरण करे उनका, वंदना करे उनकी, पूजा करे उनकी, प्रार्थना करे
उनकी"...जिनका विकल्प नहीं....जिनका नाम नहीं.....मात्र परिचय है
पर्याप्त...ॐ सिद्ध-आत्माय नम:, ॐ पूण्य-आत्माय नम:, ॐ दिव्य-आत्माय नम:, ॐ
पवित्र-आत्माय नम:, ॐ दयालु-आत्माय नम:...और ईश्वर में कोई योग्यता हो या
ना हो.....कोई टिपण्णी नहीं....परन्तु कुछ लोग अकसर कहते है...."ईश्वर बड़ा
दयालु है".....शेष चर्चा हेतु....www.vinayaksamadhan.blogspot.in.....अवश्य
अध्ययन करे....why rush to visit the same ???….Just because need not to
purchase the books on simple subjects…..हार्दिक स्वागतम…
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